एक ओर प्रदेश सरकार मंच से डबल इंजन की सरकार द्वारा विकास के दावे कर रही है, तो दूसरी ओर कृषि मंत्री ऐदल सिंह कंसाना के गृह जिले मुरैना में ही किसान खाद के लिए परेशान घूम रहा है। यहां हालात ऐसे हैं कि सुबह 6 बजे से महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे सोसायटी के सामने लाइन में लग जाते हैं, लेकिन दोपहर 12 बजे तक भी खाद मिलना मुश्किल हो जाता है। खाद वितरण में अनियमितता का आलम ये है कि कई सोसायटी संचालक निर्धारित समय के काफी बाद, 10 या 11 बजे ही केंद्र पर पहुंचते हैं। इस दौरान किसान तेज धूप में खड़े होकर इंतज़ार करते रहते हैं।
किसानों ने लगाए कालाबाज़ारी के आरोप
किसानों का आरोप है कि सोसायटी संचालक खाद की जमकर कालाबाज़ारी कर रहे हैं। उनके मुताबिक, पहले से अपने चहेते लोगों को पर्ची देकर खाद दे दी जाती है, जबकि आम किसान घंटों लाइन में खड़ा रहकर भी खाली हाथ लौट जाता है। कई किसानों ने बताया कि उन्हें पूरे दिन की मशक्कत के बाद भी मुश्किल से दो बोरी खाद ही मिल पाई। स्थिति इतनी खराब है कि महिलाओं और किशोरी बच्चियों तक को भी लंबी लाइन में लगना पड़ता है। कई बार भीड़ इतनी ज्यादा होती है कि ज़्यादातर लोगों का नंबर ही नहीं आता।
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कांग्रेस ने उठाए सवाल, चेताया धरने का एलान
इस पूरे मामले पर किसान कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष दीपक यादव ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि "खाद की कमी नहीं है, बल्कि वितरण में भारी गड़बड़ी है। सोसायटी संचालक जानबूझकर कालाबाज़ारी कर रहे हैं। अगर 2-3 दिन में व्यवस्था नहीं सुधरी, तो ब्लॉक कांग्रेस किसान कमेटी धरना देगी।" किसानों का यह भी कहना है कि यह समस्या नई नहीं है, हर साल यही हालात होते हैं। लेकिन सरकार हर बार सिर्फ कागज़ों में स्थिति सुधारने की बात करती है, जबकि ज़मीनी हकीकत अलग होती है।