राजगढ़ में दिग्विजय सिंह ने अपने ऊपर लगने वाले सनातन विरोधी होने के आरोप को लेकर अपनी सफाई पेश की है, और साथ ही सनातन धर्म से जुड़ी व्याख्या भी की। इसमें उन्होंने अपने परिवार और धर्म की परिभाषा को समझाते हुए विभिन्न उदाहरण दिए हैं, और साथ ही बीजेपी और आरएसएस को लेकर भी बयान दिया है।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने रविवार को राजगढ़ में बीजेपी के उन नेताओं को ,जो उनका नाम मुस्लमान, ईसाई और सिख समुदाय से जोड़ते हैं, ऐसे लोगों को जवाब देते हुए कहा कि सभी को साथ लेकर चलने की हम बात करते हैं। मेरे पिता गांधीवादी थे। सन 1939 में वे कांग्रेस में शामिल हुए और गांधी जी के अनुयायी बने और राघौगढ़ किले के अंदर जितने भी मंदिर हैं, उनमें हमने दलित वर्ग के लोगों को प्रवेश दे दिया था। हमारा तो वो परिवार है, लेकिन दुनिया भर के लांछन मुझ पर लगाए जाते हैं, लेकिन मुझे उसकी परवाह भी नहीं है। क्या क्या नहीं कहा गया मेरे बारे में- दिग्विजय सिंह मुसलमान है, ईसाई है, लेकिन इन सब बातों का जवाब में केवल एक बात से देना चाहता हूं कि मैं सनातन धर्म का पालन करने वाला व्यक्ति हूं और सनातन धर्म में समान अवसर, समान व्यवहार, यही हमारा सनातन धर्म है। यही भारत का संस्कार और संस्कृति है।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि, वर्ण व्यवस्था हमारे यहां पैदाइश से नहीं थी, ये कर्म से थी।वो तो बाद में उसको पैदाइश से जोड़ दिया गया। कौन किस परिवार में जन्मेगा ये तो ईश्वर तय करेगा, जो जिस धर्म के अंदर पैदा होगा उस धर्म के अनुसरण करेगा। इसके उन्होंने उदाहरण भी दिए। दिग्विजय सिंह ने आगे कहा कि मैं बीजेपी के उन लोगों से पूछना चाहता हूं कि अपने बच्चों को भी तुम क्या यही शिक्षा देते हो कि झगड़ा करो, मारपीट करो, झूठ बोलो। मुझे तो ऐसा कोई पिता नहीं मिला जो अपने बच्चों को ये सब सिखाए।
दिग्विजय सिंह ने सावरकर की एक पुस्तक का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके द्वारा कहा गया है कि हिंदुत्व केवल हिन्दुओं की पहचान है। इसका धर्म से कोई लेना देना नहीं है। जब सावरकर स्वयं ही यह कह रहे है कि हिंदुत्व का धर्म से कोई लेना देना नहीं है तो बार बार हिंदुत्व को धर्म से क्यों जोड़ा जाता है। दिग्विजय सिंह ने आगे कहा कि सनातन धर्म का पालन हम सभी लोग करते हैं, लेकिन सनातन धर्म में ये कहां लिखा है कि तुम मुसलमानों को मारो,आज हम कोई भी आयोजन करते हैं तो कहते हैं धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो, ये सनातन धर्म है। ये सनातन धर्म नहीं है कि हमारा कल्याण हो और हमारे दुश्मन का विनाश हो,आरएसएस और बीजेपी के लोग हमारे दुश्मन नहीं हैं। हम लोग धर्म को मानते हैं क्योंकि धर्म जोड़ता है और राजनीति तोड़ती है। धर्म का इस्तेमाल राजनीति में नहीं होना चाहिए।