बुंदेलखंड अंचल में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति सुधारने के लिए सरकार कितने ही जतन क्यों न कर ले? लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं। संभागीय मुख्यालय सागर स्थित शासकीय अस्पतालों की हालत भी अलग नहीं है। यहां बदहाली और अव्यवस्थाओं की तस्वीर साफ देखी जा सकती है।
सागर शहर का जिला चिकित्सालय पिछले कई वर्षों में करोड़ों रुपये खर्च कर संवारा गया, लेकिन व्यवस्थाएं अब भी ध्वस्त पड़ी हैं। बीते दिनों जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड में कुत्तों का झुंड घूमता देखा गया। आए दिन नवजात बच्चों से जुड़े हादसों के बावजूद प्रशासन बेखबर बना हुआ है। हाल ही में बच्चा वार्ड से एक कुत्ता नवजात को मुंह में दबाकर ले जाने लगा था, लेकिन समय रहते परिजनों की नजर पड़ने पर शिशु को बचा लिया गया। घटना के बाद प्रशासन हरकत में आया और सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने की बात कही, लेकिन हालात फिर पुराने हो गए।
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वार्ड नंबर-2, जहां नवजात और छोटे बच्चों को भर्ती किया जाता है, कुत्तों के आतंक का केंद्र बना हुआ है। गार्डों की भूमिका यहां नाम मात्र की है। रात होते ही सुरक्षा कर्मी सो जाते हैं और आवारा कुत्ते मेन गेट से अस्पताल परिसर में घुसकर बेधड़क घूमते रहते हैं।
जिम्मेदार अधिकारियों से जब भी इस पर सवाल किए जाते हैं तो केवल आश्वासन मिलता है, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं होती। ऐसे में करोड़ों खर्च होने के बावजूद सागर का जिला अस्पताल मरीजों के लिए खतरे का घर बना हुआ है।
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