भोपाल का चर्चित शारिक मछली मामला लोगों की याद में ताजा ही था कि आष्टा में वैसा ही काला खेल उजागर हो गया। मानव अधिकार आयोग सदस्य प्रियंक कानूनगो ने जांच में पाया कि मछुआरों का वंशानुगत हक छीना गया। जिस मत्स्य समिति का पंजीयन बताया गया, वह पूरी तरह फर्जी था। समिति का पता गलत निकला और सहकारिता विभाग द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज भी कूट रचित साबित हुए।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो खुद मौके पर पहुंचे और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक कर पूरे मामले की जांच के आदेश दिए। यह मामला भोपाल के कुख्यात शारिक मछली प्रकरण की याद दिलाता है। जिस तरह वहां आपराधिक और प्रशासनिक गठजोड़ से अपराध फलता-फूलता रहा, वैसे ही आष्टा में भी फर्जी समिति के नाम पर मछुआरों का हक छीना जा रहा था। जांच में सामने आया कि अतीक वारी नामक व्यक्ति ने कूट रचित दस्तावेज तैयार कर फर्जी समिति बनाई और वर्षों से तालाबों पर कब्जा जमाए रखा। यह पूरी तरह से मध्य प्रदेश सरकार की मत्स्य पालन नीति का उल्लंघन है।
वंशानुगत अधिकार से वंचित मछुआरे
नीति के अनुसार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा भोई, धीमर, कहार, बाथम समाज के लोगों को मत्स्य पालन का प्राथमिक अधिकार है। लेकिन फर्जी समिति बनाकर मुस्लिम ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया गया और असली मछुआरे समाज हाशिए पर धकेल दिए गए। कानूनगो ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि जिस समिति का पंजीयन दिखाया गया था, वह फर्जी निकली। सूची में दर्ज 19 हिंदू मछुआरों के नाम बाद में काट दिए गए। सहकारिता विभाग और मत्स्य पालन विभाग के अधिकारियों पर मिलीभगत के गंभीर आरोप लगे हैं।
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अधिकारियों को मिली चेतावनी
मानव अधिकार आयोग के सदस्य ने बैठक में स्पष्ट कहा कि यदि दोषियों पर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो आयोग सख्त कदम उठाएगा। अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि रिपोर्ट जल्द पूरी कर मछुआरों को उनका वंशानुगत हक लौटाया जाए। मौके पर बड़ी संख्या में हिंदूवादी संगठन और मछुआरा समाज के लोग मौजूद रहे। महिलाओं और पुरुषों ने प्रियंक कानूनगो का फूलमालाओं से स्वागत किया और उनके कदम का समर्थन किया।
SDM का बयान
इस संबंध में आष्टा एसडीएम नितिन टाले ने कहा कि शिकायत प्राप्त होने पर जांच की गई है। संबंधित विभागों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।