सीहोर के कोठरी स्थित वीआईटी कॉलेज का विवाद अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि जिले का एक और प्रतिष्ठित संस्थान राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय से संबद्ध आरएके कृषि महाविद्यालय विवादों की आग में घिर गया। सैकड़ों छात्र-छात्राएं कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचे और जमकर नारेबाजी करते हुए अपना आक्रोश जाहिर किया। छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की कथित मनमानी ने उनके भविष्य पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है।
कुलपति पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप
प्रदर्शनकारी विद्यार्थियों वैष्णवी चौहान, गार्गी चौधरी पंवार, हिमांशु टेलर, साक्षी सोलंकी, पूजा चौहान, उधु साल्वी, मोहिका, सोनाक्षी दुलवे, रागिनी कनेश, प्रेरणा सिसोदिया, लक्ष्मी मालवीय, नेहा भोंडी, प्रियंशी गोस्वामी, रोशनी मालवीय, झुमिका कुशवाह, झुमिका नगर, साक्षी राजपूत, कपाल उपाध्याय, दिव्या साहू, आशिष परमार, हर्षित गुर्जर, आयुषी परमार, तनिषा यादव, वध्वी सोनिया, अलीज़ा शर्मा, प्रार्थी वर्मा सहित अनेक ने कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अरविंद कुमार शुक्ला पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। छात्रों का दावा है कि कृषि विज्ञान केंद्रों में कार्यरत गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों से लाखों रुपये की वसूली कर उन्हें नियमों को ताक पर रखकर सीधे सहायक प्राध्यापक, प्राध्यापक और वैज्ञानिक जैसे शैक्षणिक पदों पर मर्ज किया जा रहा है। छात्रों के अनुसार यह प्रक्रिया पूरी तरह अवैध है और इसके पीछे करोड़ों रुपये के लेन-देन की आशंका है।
ये भी पढ़ें- पूर्व प्रिंसिपल डॉ. रहमान को क्लीनचिट, कट्टरता फैलाने के आरोप से 3 साल बाद बरी हुए
मुख्यमंत्री के नाम सौंपा गया ज्ञापन
छात्रों ने गुरुवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नाम डिप्टी कलेक्टर वंदना राजपूत को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मांग की गई कि प्रस्तावित अवैध मर्जर प्रक्रिया को तत्काल रोका जाए और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए। विद्यार्थियों ने स्पष्ट किया कि यदि शासन ने समय रहते हस्तक्षेप नहीं किया, तो यह आंदोलन उग्र रूप धारण करेगा। विद्यार्थियों ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों का मूल उद्देश्य प्रसार गतिविधियां और किसान सेवाएं हैं, न कि शैक्षणिक पदों की पूर्ति। वहां कार्यरत कर्मचारी शैक्षणिक कैडर का हिस्सा नहीं होते। छात्र वर्षों की मेहनत से पीएचडी और प्रतियोगी परीक्षाएं उत्तीर्ण कर प्रोफेसर और वैज्ञानिक बनने का सपना देखते हैं। यदि बाहरी लोगों को सीधे इन पदों पर बैठा दिया गया, तो योग्य अभ्यर्थियों के लिए अवसर लगभग समाप्त हो जाएंगे।
करोड़ों के दुरुपयोग और बंदरबांट की आशंका
छात्रों ने आरोप लगाया कि इस मर्जर प्रक्रिया से करोड़ों रुपये के दुरुपयोग और बंदरबांट की आशंका है। विश्वविद्यालय और अन्य कृषि महाविद्यालयों में इस विषय को लेकर चर्चा जोरों पर है, लेकिन कुलपति के कथित भय के कारण कोई भी शिक्षक खुलकर सामने नहीं आ रहा है। इससे छात्रों में निराशा और असंतोष लगातार बढ़ता जा रहा है। विद्यार्थियों ने चेतावनी दी कि यदि अवैध मर्जर प्रक्रिया को तत्काल निरस्त नहीं किया गया, तो प्रदेश के सभी 12 कृषि महाविद्यालयों के छात्र सड़कों पर उतरकर उग्र आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई केवल आज की नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को बचाने की है। शासन से न्याय की उम्मीद लगाए छात्र अब निर्णायक संघर्ष के मूड में नजर आ रहे हैं।

कृषि महाविद्यालय में प्रदर्शन करने पहुंचे विद्यार्थी