जिले में स्थित आरटीओ कार्यालय में बड़े पैमाने पर चल रहे एक गोरखधंधे का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें 15 साल पुरानी एक बस को फर्जी तरीके से रजिस्ट्रेशन कराने का मामला सामने आया है। पुलिस ने मामले की शिकायत मिलने के बाद बस को जब्त कर लिया है, जबकि आरटीओ कार्यालय के दो कर्मचारी गिरफ्तार किए गए हैं। इस मामले में मुख्य आरोपी बस मालिक पुष्पेन्द्र मिश्रा अब भी फरार हैं।
इस पूरे विवाद की शुरुआत 2018 में हुई थी, जब स्थानीय निवासी राजेन्द्र सिंह ने सोहागपुर थाना में शिकायत दर्ज कराई थी। उनके अनुसार, बस नंबर MP18-6155, जो कि 1993 मॉडल की थी, 15 साल से पुरानी होने के कारण मध्य प्रदेश में पंजीकरण के नवीनीकरण की पात्र नहीं थी। इसके बावजूद झारखंड की एक फर्जी एनओसी और असली कार नंबर JH01P-4872 का उपयोग कर इस बस का पंजीकरण कराया गया।
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थाना प्रभारी ने बताया कि मामले में 2018 में एफआईआर दर्ज हुई थी। उस दौरान आरोपीय अज्ञात थे। जांच में समय लगा। झारखंड से कुछ जानकारी पुलिस को मंगवानी पड़ी। तब जाकर आरोपी तय हुए और दोनों आरोपियों को अब गिरफ्तार कर किया गया है। जिसमें आरटीओ कार्यालय के बाबू अनिल खरे और एम.पी. सिंह बघेल इस साजिश में शामिल पाए गए हैं। लोगों का कहना है, यह पूरी प्रक्रिया एक सुनियोजित तरीके से हुई थी। दोनों कर्मचारियों ने मिलकर बस के चेचिस नंबर को भी बदलने का प्रयास किया। जांच में यह भी सामने आया कि इस फर्जीवाड़े के लिए दस्तावेजों पर आरटीओ के हस्ताक्षर नहीं थे, जोकि नियमों का खुला उल्लंघन है।
पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई की और बस को जब्त कर लिया। थाना प्रभारी सोहागपुर भूपेंद्र मणि पांडे ने बताया हमने सभी दस्तावेजों की जांच की और पाया कि दोनों आरटीओ कर्मचारियों ने नियमों का उल्लंघन किया है। हम मुख्य आरोपी की तलाश में हैं। इस मामले में गिरफ्तार किए गए कर्मचारियों को न्यायालय में पेश किया गया है।