श्योपुर जिले की कराहल तहसील अंतर्गत सहरिया आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में उल्टी-दस्त की बीमारी ने गंभीर रूप ले लिया है। बीते दस दिनों में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें तीन मासूम बच्चे भी शामिल हैं। गुरुवार रात दो साल के मासूम देव की मौत के बाद क्षेत्र में दहशत का माहौल है, वहीं दस अन्य लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है। स्थानीय ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, जबकि जिला प्रशासन ने लापरवाही के आरोपों के बाद अब कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की है।
सस्पेंशन की सिफारिश, जांच में तेजी
लगातार हो रही मौतों और बिगड़ती हालातों के बीच श्योपुर कलेक्टर अर्पित वर्मा ने कराहल बीएमओ सुरेश सोनी को कर्तव्य में लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित करने की सिफारिश ग्वालियर संभाग के कमिश्नर को भेज दी है। स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने गुरुवार को सहराना बस्ती के 150 घरों में पहुंचकर जांच की, जहां से 64 मरीजों की पुष्टि हुई। इनमें से 10 मरीजों को गंभीर हालत में कराहल स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है।
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बस्ती में भय का माहौल
उल्टी-दस्त से हो रही मौतों के बाद जब प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया, तब जाकर सहरिया बस्ती में स्वास्थ्य शिविर लगाया गया। शिविर के दौरान महिलाओं ने एसडीएम के सामने खुलकर शिकायत की कि कराहल के बीएमओ सुरेश सोनी ने न तो समय रहते गांव में जांच कराई, न ही किसी प्रकार की दवा या चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई। उनका आरोप है कि बीमारों को ‘ठीक है’ कहकर घर भेज दिया गया, जिससे कई लोगों की जान चली गई।
चार मौतों की भयावह दास्तां
मृतकों में सबसे पहले 16 जुलाई को राजवीर आदिवासी की बेटी मंगला को उल्टियां हुईं। परिजन उसे कराहल अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन चिकित्सकों ने उसे सामान्य बताकर वापस भेज दिया। घर पहुंचने के कुछ घंटों बाद ही मंगला की मौत हो गई। इसके बाद 18 जुलाई को अजय आदिवासी के बेटे अभिराज को तेज उल्टियां और दस्त शुरू हुए, जिसे बचाया नहीं जा सका। 20 जुलाई को खेत से लौटते वक्त विश्वास आदिवासी को चक्कर आया और उल्टी-दस्त के बाद उसकी भी जान चली गई। गुरुवार रात को दो साल के मासूम देव की भी इलाज के अभाव में मृत्यु हो गई।
अब पानी की जांच और सफाई अभियान हुआ शुरू
लगातार हो रही मौतों के बाद अब स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास और पंचायत विभाग के अधिकारी सक्रिय हुए हैं। शुक्रवार को बस्ती और गांव में सफाई अभियान चलाया गया। उगना बस्ती के करीब 100 घरों में फैली गंदगी को हटाया गया और पेयजल के स्रोतों से पानी के नमूने लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं।
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खुले में शौच और गंदा पानी बना बीमारी की वजह
स्थानीय लोगों का कहना है कि बारिश के बाद गंदा पानी घरों में भर गया था, जिससे बीमारी फैलने लगी। खुले में शौच की आदत और पीने के साफ पानी की कमी ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। बीमारियों के लक्षणों में उल्टी, दस्त, बुखार और खांसी-जुकाम प्रमुख हैं।