टीकमगढ़ से लगे निवाड़ी जिले में बीते दिन एक स्थानीय समाचार पत्र के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित एक खबर ने जिले की राजनीति में हलचल मचा दी। खबर में दावा किया गया था कि मध्य प्रदेश के निवाड़ी विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक अनिल जैन ने अपनी विधायक निधि का दुरुपयोग किया है, और उनके द्वारा स्वीकृत कई विकास कार्य मौके पर नहीं पाए गए। खबर के अनुसार, यह जानकारी एक आरटीआई (सूचना के अधिकार) के तहत प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर दी गई थी।
हालांकि, इस पूरे प्रकरण पर निवाड़ी जिला प्रशासन ने तुरंत संज्ञान लेते हुए जांच समिति गठित की। समिति ने संबंधित स्थानों का निरीक्षण किया और रिपोर्ट तैयार की। जांच पूरी होने के बाद निवाड़ी कलेक्टर ने इस विषय पर स्पष्ट बयान देते हुए कहा कि विधायक अनिल जैन के विरुद्ध लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं।
कलेक्टर के अनुसार, “समाचार पत्र द्वारा प्रकाशित सूचना तथ्यों पर आधारित नहीं है। समिति की जांच में पाया गया कि सभी कार्य नियमों के अनुसार और वास्तविक रूप से स्थल पर मौजूद हैं। किसी प्रकार की अनियमितता या निधि के दुरुपयोग के प्रमाण नहीं मिले हैं।”
कलेक्टर के इस बयान के बाद स्पष्ट हो गया कि आरटीआई कार्यकर्ता को प्राप्त जानकारी अपूर्ण या भ्रामक रही होगी, जिसके आधार पर यह खबर प्रकाशित की गई। प्रशासन ने यह भी कहा कि आरटीआई में प्राप्त दस्तावेजों की गलत व्याख्या करने से जनता के बीच गलत संदेश गया, जिससे जनप्रतिनिधि की छवि को नुकसान पहुँचा।
विधायक अनिल जैन ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे हमेशा विकास कार्यों के प्रति समर्पित रहे हैं और उन्होंने जनहित को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। उन्होंने मीडिया से भी अपील की कि बिना सत्यापन के समाचार प्रकाशित करने से बचें, क्योंकि ऐसी खबरें जनता को भ्रमित कर सकती हैं।
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अंततः, कलेक्टर के बयान और जांच समिति की रिपोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी और समाचार पत्र की खबर दोनों ही गलत और असत्य सिद्ध हुईं। इस घटना ने यह भी संकेत दिया कि किसी भी आरटीआई सूचना का उपयोग करने से पहले उसकी सटीकता और संदर्भ की जांच करना आवश्यक है, ताकि जनहित में सटीक और जिम्मेदार पत्रकारिता सुनिश्चित की जा सके।