यह दृश्य किसी भी संवेदनशील व्यक्ति के दिल को झकझोर सकता है। टीकमगढ़ जिले के बल्देवगढ़ विकासखंड के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत लुहर्रा से सोमवार को एक ऐसी तस्वीर सामने आई, जिसने विकास के दावों की पोल खोल दी।
दरअसल, लुहर्रा गांव के निवासी सुमित यादव की करंट लगने से मौत हो गई थी। सोमवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाना था, लेकिन पिछले दो दिनों से लगातार हो रही बारिश ने पूरे क्षेत्र को भिगा दिया। गांव में मुक्तिधाम (श्मशान घाट) तो है, लेकिन वहां न तो पक्का चबूतरा है और न ही टीन शेड की व्यवस्था। नतीजतन, मजबूर ग्रामीणों को पॉलिथीन की चादर लगाकर बारिश के बीच ही शव का अंतिम संस्कार करना पड़ा।
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ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने कई बार पंचायत और प्रशासन से मुक्तिधाम पर शेड लगाने की मांग की थी, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई। बारिश के दौरान यह स्थिति इतनी दयनीय थी कि लोग खुद पन्नी पकड़कर खड़े रहे ताकि अंतिम संस्कार की रस्म पूरी हो सके। यह नज़ारा देखकर ग्रामीणों की आंखों में आंसू और दिल में गुस्सा दोनों थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारें हर साल विकास योजनाओं के बड़े-बड़े दावे करती हैं, लेकिन हकीकत ज़मीन पर कुछ और ही है। गांव में न तो सड़कें ठीक हैं, न पीने के पानी की समुचित व्यवस्था, और अब तो अंतिम संस्कार जैसे संवेदनशील कार्य भी भगवान भरोसे हैं।
जनपद पंचायत बल्देवगढ़ के सीईओ ने कहा कि “मामले को संज्ञान में लिया गया है और जल्द ही मुक्तिधाम पर टीन शेड बनवाने की कार्रवाई की जाएगी।” हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि यह आश्वासन नया नहीं है, हर बार ऐसी घटना के बाद प्रशासन केवल जांच और वादे तक ही सीमित रह जाता है।