श्रावण के तीसरे सोमवार को भगवान श्री महाकालेश्वर की भव्य सवारी उज्जैन नगर में आस्था, उत्साह और उमंग की त्रिवेणी बनकर निकली। श्री चंद्रमौलेश्वर रूप में पालकी पर विराजे भगवान महाकाल जब नगर भ्रमण पर निकले तो पूरा शहर भोलेनाथ की जय, अवंतिकानाथ की जय के जयकारों से गूंज उठा। महाकाल की इस भव्य सवारी में लाखों श्रद्धालु दर्शन लाभ लेने पहुंचे और पुष्पवर्षा कर अपने आराध्य का स्वागत किया।
पूजन-अर्चन से हुई शुरुआत, मंत्रोच्चार से गूंजा मंदिर परिसर
सवारी के निकलने से पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में मुख्य पुजारी पं. घनश्याम शर्मा ने विधिवत पूजन-अर्चन कर भगवान का षोडशोपचार पूजन किया। इसके पश्चात मंत्रोच्चार और आरती के साथ सवारी को नगर भ्रमण के लिए रवाना किया गया। इस अवसर पर राज्य सरकार के मंत्री लखन पटेल, गोविंद सिंह राजपूत और राकेश शुक्ला सहित उज्जैन और भिंड के विधायक, महापौर, पार्षदगण तथा अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे और आरती में सम्मिलित होकर दर्शन लाभ लिया।
सशस्त्र पुलिस बल ने दी सलामी, सवारी मार्ग पर उमड़े श्रद्धालु
जैसे ही भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर की पालकी मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंची, सशस्त्र पुलिस बल ने सलामी दी। सवारी परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए रामघाट तक पहुंची, जहां क्षिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया गया। संपूर्ण मार्ग पर भक्तों ने फूल बरसाए और डमरू-झांझ-मंजीरों की ध्वनि के साथ महाकाल की आराधना करते हुए जयकारे लगाए।
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इंद्रदेव ने वर्षा कर किया जलाभिषेक
सवारी के दौरान जब भगवान नगर भ्रमण पर निकले, तभी अचानक हल्की वर्षा शुरू हो गई, जिससे ऐसा प्रतीत हुआ मानो इंद्रदेव स्वयं भगवान महाकाल का जलाभिषेक कर रहे हों। पूरे शहर में वातावरण भक्ति और श्रद्धा से सराबोर हो गया।
जनजातीय नृत्य दलों और भजन मंडलियों की प्रस्तुतियों ने बांधा समां
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशानुसार इस वर्ष की सवारी को विशेष सांस्कृतिक रंग देने के लिए चार जनजातीय दलों ने परंपरागत लोकनृत्य प्रस्तुत किए। इनमें करमा सैला नृत्य (डिंडोरी), ढोलू कूनीथा (कर्नाटक), अहिराई नृत्य (जबलपुर) और गणगौर लोकनृत्य (संजय महाजन दल) की प्रस्तुतियों ने भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। ये दल सवारी मार्ग के साथ-साथ चलते हुए अपनी सांस्कृतिक झांकियों के माध्यम से परंपरा और लोक संस्कृति को जीवंत कर रहे थे।
8 बैण्ड्स की गूंज से जीवंत हुआ सवारी मार्ग
सवारी के दौरान मध्यप्रदेश पुलिस बैण्ड, बीएसएफ बैण्ड, स्काउट गाइड, सरस्वती शिशु मंदिर (खाचरौद और बड़नगर), कृष्णा मालवा बैण्ड, गणेश बैण्ड, श्रीमिलन बैण्ड, आर.के. बैण्ड और बालाजी बैण्ड की मधुर धुनों ने वातावरण को उत्सवमयी बना दिया। हर चौराहे पर शिव भजनों की स्वर लहरियां भक्तों के मन को आनंदित कर रही थीं।
सुगमता से हुए दर्शन, प्रशासन ने संभाला मोर्चा
सवारी में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ के बावजूद प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्थाएं अत्यंत प्रभावी रहीं। पुलिस और स्वयंसेवकों की सहायता से दर्शन सुगमता से संपन्न हुए। भक्तों ने बिना किसी अव्यवस्था के भगवान के दर्शन किए और शिवभक्ति में लीन नजर आए।
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समापन के बाद पुनः मंदिर में हुई वापसी
रामघाट पर जलाभिषेक और पूजन-अर्चन के पश्चात सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, सत्यनारायण मंदिर, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार होते हुए पुनः श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंची। श्रद्धा और संस्कृति की इस अनुपम झांकी ने एक बार फिर उज्जैन को आध्यात्मिक रंगों से सराबोर कर दिया।