श्रावण मास की द्वादशी तिथि पर बुधवार तड़के महाकालेश्वर मंदिर में पारंपरिक भस्म आरती का आयोजन किया गया। इस दौरान बाबा महाकाल के दिव्य दर्शन के लिए देशभर से हजारों श्रद्धालु उमड़े। भक्त देर रात से ही लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करते रहे। वहीं बाबा महाकाल भी भक्तों को दर्शन देने के लिए तड़के 3 बजे जाग्रत हुए।
मंदिर के पुजारी पंडित आशीष शर्मा ने बताया कि श्रावण शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर तड़के 3 बजे विश्व प्रसिद्ध भस्म आरती की शुरुआत वीरभद्र जी की आज्ञा से हुई। मंदिर के पट खुलते ही पुजारियों ने गर्भगृह में भगवान की सभी प्रतिमाओं का विधिवत पूजन किया। इसके बाद भगवान महाकाल का जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर, पंचामृत व फलों के रस से किया गया।
पूजन के दौरान ‘हरि ओम’ का जल अर्पित कर घंटे बजाए गए। इसके बाद महाकाल का विशेष श्रृंगार किया गया। बाबा को कपूर की आरती के साथ नवीन मुकुट पहनाया गया और गुलाब-मोगरे की माला धारण कराई गई। इसके उपरांत महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से बाबा के शिवलिंग पर भस्म अर्पित की गई। आज के श्रृंगार की विशेषता यह रही कि बाबा महाकाल का श्रृंगार भांग से किया गया। भस्म अर्पण के पश्चात बाबा साकार रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं ऐसी मान्यता है। इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद लिया और पूरा मंदिर परिसर "जय श्री महाकाल" के उद्घोष से गूंज उठा।
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सांस्कृतिक संध्या में शिव भजन और कथक की दिव्य प्रस्तुति
श्रावण-भाद्र मास के दौरान श्री महाकाल महालोक में प्रतिदिन आयोजित होने वाली श्री महाकालेश्वर सांस्कृतिक संध्या के 15वें दिन की शुरुआत उज्जैन की प्रीति देवले के उपशास्त्रीय गायन से हुई। उन्होंने नटराज तांडव, शिव कैलाशों के वासी, सदाशिव महाकाल, पी ले रे हरि नाम जैसे भजनों की प्रस्तुति दी। संगीत में उनका साथ महेन्द्र बुआ (हारमोनियम), देवब्रत गुप्ता (तबला), सक्षम देवले (साइड रिदम) व सहयोगी गायकों विभाष देवले, मनोज श्रीवास्तव, उल्हास मांजरेकर, राजेश सोहने, प्रेरणा सोहने और सुनीता जैन ने दिया।कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति कथक नृत्य की रही, जिसमें समृद्धि चित्तौड़ा ने हरि-हर पर आधारित नृत्य प्रस्तुतियां दीं। उन्होंने शिव पंचाक्षर स्तोत्र, नाचे गिरधारी, मृदंग तराना जैसे भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत किए। उनके साथ नृत्यांगनाएं ख्याति पाल, सिया मोरे, अनन्या खेडकर और इशानी पांचाल ने प्रस्तुति दी।
अंतिम प्रस्तुति इंदौर की कविता तिवारी के निर्देशन में समूह कथक नृत्य की रही। इसमें शिव स्तुति और ध्रुपद आधारित "शंकर प्रलयंकर मदन दहन कर" जैसे भावपूर्ण चित्रण प्रस्तुत किए गए। इस नृत्य के माध्यम से भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों को सजीव रूप में दर्शाया गया। नंदिनी सिकरवार, त्रिशा साध, पाखी बारापात्रे, वैष्णवी शिम्पी, माही पुनस्य और ऐश्वर्या बुंदेला ने सहभागिता निभाई।
अतिथियों का सम्मान और दीप प्रज्ज्वलन
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई, जिसे विभाष उपाध्याय (पूर्व सदस्य, श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति), वीरूपाक्ष जड्ड़ीपाल (सचिव, श्री महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान) ने किया। इसके पश्चात डिप्टी कलेक्टर एवं मंदिर के उप प्रशासक एस.एन. सोनी व सिम्मी यादव ने अतिथियों को दुपट्टा, प्रसाद एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। कलाकारों एवं सहयोगी कलाकारों को भी प्रशस्ति पत्र, दुपट्टा और प्रसाद देकर सम्मानित किया गया।