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Udham Singh's family has been wandering for a job in Punjab for 19 years
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पंजाब में शहीद ऊधम सिंह के परिजनों का 19 साल का इंतज़ार, नौकरी के लिए दर-दर भटक रहे हैं वंशज
जलियांवाला बाग नरसंहार का बदला लेकर देश का स्वाभिमान जगाने वाले शहीद ऊधम सिंह के परिजन आज आज़ाद भारत में उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। पिछले 19 साल से शहीद के परिवार को सरकारी नौकरी का वादा पूरा होने का इंतज़ार है, लेकिन सरकारों की संवेदनहीनता के चलते यह मांग सिर्फ़ कागज़ों तक सिमट कर रह गई है। शहीद की बहन आस कौर के पोते जीत सिंह और उनके बेटे जग्गा सिंह इस लंबी लड़ाई में थक चुके हैं, लेकिन उनकी उम्मीदें अब सुनाम के ही मुख्यमंत्री भगवंत मान से जुड़ी हैं।
सुनाम के सिनेमा रोड के पास मात्र 90 वर्ग गज के मकान में रहने वाले 70 वर्षीय जीत सिंह, जो शहीद ऊधम सिंह के पोते हैं, और उनके दो बेटे दिहाड़ी का काम करके गुज़ारा करते हैं। जीत सिंह के बेटे जग्गा सिंह, जिनकी उम्र अब करीब 40 वर्ष हो चुकी है, दसवीं पास हैं और उनके लिए 20 जुलाई 2006 को तत्कालीन कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने नौकरी का पत्र जारी किया था।
लेकिन 19 साल बीत जाने के बावजूद यह पत्र सिर्फ़ एक कागज़ी वादा बनकर रह गया है।परिजनों का दर्द: जीत सिंह ने बताया कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के बाद प्रकाश सिंह बादल दो बार मुख्यमंत्री बने, फिर कैप्टन दोबारा सत्ता में आए, लेकिन किसी ने उनकी सुध नहीं ली। हर साल 31 जुलाई को शहीद ऊधम सिंह के बलिदान दिवस पर मुख्यमंत्री द्वारा शाल भेंट कर सम्मान की औपचारिकता तो निभाई जाती है, लेकिन परिवार की वास्तविक मांग अनसुनी रहती है।
जीत सिंह ने कहा, "मुख्यमंत्री भगवंत मान सुनाम के हैं। हमें उनसे बहुत उम्मीद है कि वे जग्गा को नौकरी देंगे।"लंबी लड़ाई: जीत सिंह ने नौकरी की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दिया, चंडीगढ़ और संगरूर के कई चक्कर काटे, पंजाब विधानसभा के स्पीकर कुलतार सिंह संधवां और कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा से भी गुहार लगाई। उनके घर की दीवारें विभिन्न मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों और अधिकारियों से सम्मान लेते हुए तस्वीरों से भरी हैं, जो उनकी इस लंबी जद्दोजहद की गवाही देती हैं। इन तस्वीरों को देखते हुए जीत सिंह कई बार भावुक हो जाते हैं, लेकिन उन्होंने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा।
सरकारी उदासीनता
बीते 19 सालों में पंजाब में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की सरकारें सत्ता में रहीं, लेकिन शहीद के परिवार की मांग पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। जीत सिंह का कहना है कि यह सिर्फ़ उनके परिवार का नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए शर्मिंदगी की बात है कि एक महान शहीद के वंशजों को दर-दर भटकना पड़ रहा है।
आगामी समारोह
पंजाब सरकार शहीद ऊधम सिंह के बलिदान दिवस (31 जुलाई) की तैयारियों में जुटी है। इस समारोह में मुख्यमंत्री भगवंत मान और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल शामिल होंगे। इस बीच, शहीद के परिजनों की नज़रें इस बात पर टिकी हैं कि क्या इस बार उनकी मांग पर कोई सुनवाई होगी।
परिवार की स्थिति
जीत सिंह और उनके बेटे जग्गा सिंह की आर्थिक स्थिति बेहद कमज़ोर है। दिहाड़ी के काम पर निर्भर यह परिवार शहीद के सम्मान के साथ-साथ अपनी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भी संघर्ष कर रहा है।
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