अलवर रास्ते को लेकर चल रहे पुराने विवाद में हुई एक जने की हत्या के मामले में एससी-एसटी कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए 14 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह मामला करीब 15 वर्ष पुराना है, जिसमें लंबी सुनवाई के बाद न्यायालय ने कल देर शाम को कोर्ट उठने से पहले यह फैसला सुनाया। विशिष्ट लोक अभियोजक योगेंद्र सिंह खटाणा ने सूचना देते हुए बताया कि वर्ष 2010 में खेड़ली थाना क्षेत्र के भांवर गांव में रास्ते के विवाद को लेकर दो पक्षों में खूनी संघर्ष हो गया था, जिसमें पीड़ित पक्ष के रामस्वरूप की गंभीर चोटों के चलते एसएमएस अस्पताल, जयपुर में मौत हो गई थी।
मामले की जांच के दौरान पुलिस ने दोनों पक्षों की ओर से कई लोगों को गिरफ्तार किया था। इस मामले को लेकर गांव में पंचायत भी हुई थी और हमलावर पक्ष ने पंचायत के दौरान ही रास्ते को लेकर झगड़ा और मारपीट कर डाली थी। इस दौरान दोनों पक्षों में मारपीट हुई थी। इसी दौरान पीड़ित पक्ष के रामस्वरूप पर लाठियों, सरियों और पत्थरों से हमला किया गया, जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गए और उसको गंभीर हालत में जयपुर एसएमएस अस्पताल ले जाया गया था, जहां दो दिन बाद में उसकी मौत हो गई।
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घटना के बाद गांव में तनाव का माहौल पैदा हो गया था। पुलिस ने इस मामले में 17 के खिलाफ चार्जशीट पेश की थी, जिसमें से दो जनों की कोर्ट में ट्रायल के दौरान मौत हो गई, जबकि एक मफरुर बताया गया। विशिष्ट लोक अभियोजक खटाणा ने बताया कि अदालत ने घटना के तथ्य, चश्मदीदों के बयान और मेडिकल रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए इस मामले में कुल 14 आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस मामले में कोर्ट ने मुल्जिम पक्ष से जो राशि जुर्माने के तौर पर वसूल की जाएगी उसमें से डेढ़ लाख रुपये मृतक के परिजनों को देने के आदेश भी दिए हैं।
जिन 14 आरोपियों को उम्रकैद हुई है उनमें पप्पूराम, बाबूलाल, मुकेश, विजय, नरेश, बद्रीप्रसाद, भोजराम, उमेश, शंभू, साबूलाल, कमीलाल, कुनराम, रामखंभ, हरीशंकर सहित अन्य शामिल हैं। करीब डेढ़ दशक पुराने इस मामले में आए फैसले के बाद पीड़ित पक्ष ने अदालत के निर्णय पर संतोष जताया है। वहीं, निर्णय के बाद न्यायालय परिसर में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई थी।