बालोतरा शहर के जेरला रोड पर लंबे समय से उभरते अवैध कपड़ा प्रोसेसिंग यूनिटों पर प्रशासन की लगातार कार्रवाई के बावजूद कई संचालक नियमों की खुली धज्जियां उड़ाते दिख रहे हैं। हालात तब गंभीर हो गए जब 4 दिसंबर को सीज की गई एक कपड़ा इकाई ने प्रशासन की आंखों में धूल झोंकते हुए पिछले हिस्से से उत्पादन शुरू कर दिया। दो दिन से नालों में फिर केमिकलयुक्त पानी बहने की शिकायतों के बाद इस पर बड़ा खुलासा हुआ।
पीछे से चलता रहा धंधा, ताला टूटा मिला, टीम पहुंची तो मचा हड़कंप
सुबह आरएसपीसीबी (राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल) को सूचना मिली कि सीज की गई इकाई में भीतर गतिविधियां फिर से शुरू हो चुकी हैं। निरीक्षण के दौरान जब अधिकारी इकाई के पिछले हिस्से में पहुंचे तो दरवाजा खुला हुआ मिला और सीज किया ताला टूटा पाया गया। स्थिति स्पष्ट होते ही आरएसपीसीबी ने नगर परिषद को मौके पर बुलाया और संयुक्त कार्रवाई में बिना देरी की। कुछ ही देर में बुलडोजर बुलाकर अवैध रूप से संचालित पूरी संरचना को जमींदोज कर दिया गया। कार्रवाई देखते ही आसपास की अन्य अवैध इकाइयों में दहशत फैल गई और कई संचालक अपनी यूनिटों के बाहर ताले लगाकर गायब नजर आए।
10 से अधिक अवैध इकाइयां पहले भी हुई थीं सीज, अब फिर बह रहा था जहरीला पानी
प्रदूषण नियंत्रण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारी दीपक तंवर ने बताया कि कुछ दिन पहले जेरला रोड और गंदे नाले के आसपास संचालित 10 से अधिक अवैध कपड़ा इकाइयों को पूरी तरह सीज किया गया था। इस कार्रवाई के बाद नालों में आ रहा गंदा पानी अचानक बंद हो गया था, जिससे माना गया कि अवैध संचालन थम गया है। लेकिन पिछले दो दिनों से नालों में फिर से तेज गंध वाला, केमिकल मिला हुआ काला पानी बहता दिखाई दे रहा था। इससे साफ हो गया कि कुछ इकाइयां चोरी-छिपे संचालन फिर से शुरू कर चुकी हैं। तंवर ने स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा कि जो भी प्रदूषण फैलाकर लोगों की जमीन, पानी और पर्यावरण से खिलवाड़ करेगा, उसकी इकाई का अंजाम भी यही होगा। विभाग अब किसी भी प्रकार की नरमी नहीं बरतेगा।
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जहरीला केमिकलयुक्त पानी बना बड़ी समस्या, कृषि भूमि से लेकर एसटीपी तक प्रभावित
जेरला रोड के आसपास संचालित ये अवैध प्रोसेसिंग इकाइयां बिना किसी लाइसेंस, अनुमति या इफ्लुएंट ट्रीटमेंट सिस्टम के काम कर रही थीं। उनकी ओर से निकलने वाला केमिकलयुक्त गंदा पानी सीधे नालों और सीवरेज लाइनों में छोड़ा जा रहा था। अधिकारियों के अनुसार यह केमिकलयुक्त पानी कृषि जमीन की उपजाऊ क्षमता को नुकसान पहुंचा रहा था, बालोतरा के एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) की क्षमता और संचालन पर गंभीर असर डाल रहा था, जल स्रोतों के प्रदूषित होने का खतरा लगातार बढ़ रहा था। ग्रामीणों और लोगों की शिकायतों के आधार पर प्रशासन एवं आरएसपीसीबी ने एक विस्तृत सर्वे कराया, जिसमें कई अवैध इकाइयां चिह्नित हुईं। इसके बाद उन्हें सीज किया गया था, लेकिन कुछ संचालकों द्वारा नियमों को दरकिनार कर दोबारा से संचालन शुरू कर देना गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
सुप्रीम कोर्ट कमेटी के दौरे से पहले बड़ी कार्रवाई, प्रशासन पूरी तरह अलर्ट
सूत्रों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित एक विशेष टीम एक-दो दिनों में जेरला रोड और नालों के किनारे संचालित प्रोसेसिंग यूनिटों का निरीक्षण करने आ सकती है। ऐसे में प्रशासन की तरफ से अब किसी लापरवाही की गुंजाइश नहीं रखी जा रही। नगर परिषद और आरएसपीसीबी की संयुक्त टीमें रोजाना क्षेत्र में गश्त कर रही हैं। अधिकारियों का कहना है कि यदि किसी ने सीज के बाद संचालन दोबारा शुरू किया या नालों में गंदा पानी छोड़ा, तो सीधे ध्वस्तीकरण और कानूनी कार्रवाई होगी। कोई भी अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
कार्रवाई के बाद अन्य अवैध इकाइयों में खलबली, संचालकों ने ताले डाल दिए
कार्रवाई के तुरंत बाद पूरे औद्योगिक क्षेत्र और जेरला रोड पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया। कई संचालक जो सीज के बाद भी अंदर छिपकर छोटे स्तर पर काम चला रहे थे, वे कार्रवाई का डर देखते ही अपनी यूनिटों को छोड़कर भागते नजर आए। स्थानीय लोगों ने इस कार्रवाई का स्वागत करते हुए इसे क्षेत्र की बड़ी जरूरत बताया। ग्रामीणों का कहना है कि लगातार फैल रहे प्रदूषण से खेतों की मिट्टी, पीने के पानी और हवा पर गंभीर असर पड़ रहा था।
प्रशासन का सख्त संदेश: अब नियम तोड़ने वालों पर सीधी कार्रवाई
नगर परिषद अधिकारियों ने साफ कहा कि अब चेतावनी का समय खत्म हो चुका है। जो इकाई अवैध तरीके से चलेगी, उसके खिलाफ ध्वस्तीकरण, मालिक पर कानूनी केस, भारी जुर्माना, उद्योग बंद करने की स्थाई कार्रवाई की जाएगी।