बारां जिले में यूरिया खाद की भारी किल्लत देखी जा रही है। स्थिति यह है कि महिलाएं और किसान अलसुबह से लेकर देर शाम तक कतारों में खड़े रहने को मजबूर हैं। कई महिलाएं घर-परिवार के कामकाज छोड़कर केवल यूरिया खाद के लिए लाइन में लगी रहती हैं। इसके बावजूद अधिकांश किसानों को मुश्किल से 2 से 3 कट्टा खाद ही मिल पा रहा है।
जानकारी के अनुसार, जिले की विभिन्न क्रय-विक्रय सहकारी समितियों के बाहर सुबह छह बजे से ही किसानों की लंबी लाइनें लग जाती हैं, जो देर शाम तक जारी रहती हैं। किसान बताते हैं कि पूरे दिन इंतजार करने के बाद भी समय पर खाद नहीं मिलती, कई बार शाम तक भी नंबर नहीं आता। कुछ समितियों पर पुलिस की अनुपस्थिति के कारण अव्यवस्था तक देखने को मिल रही है।
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इधर, राज्य सरकार और जिला प्रशासन दावा कर रहा है कि बारां जिले के लिए 2800 मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध कराई गई है और नए रैक भी लगातार भेजे जा रहे हैं। लेकिन जमीनी स्तर पर किसानों को राहत नहीं मिल रही है और खाद वितरण प्रणाली सुचारू नहीं दिख रही। किसानों का आरोप है कि सहकारी समितियां डीलरों को खाद उपलब्ध कराकर कालाबाजारी में संलिप्त हैं, जिसके चलते बाजार में ऊंचे दाम वसूले जा रहे हैं।
किसानों का कहना है कि वे सुबह घर से निकलकर भूखे-प्यासे लाइन में बैठे रहते हैं और शाम तक इंतजार करने के बाद भी केवल दो से तीन कट्टा खाद ही मिल पाती है। महिलाओं ने भी बताया कि वे आधार कार्ड और जमीन के दस्तावेज लेकर सुबह-सुबह लाइन में लग जाती हैं, लेकिन पूरी दिनचर्या छोड़ देने के बावजूद उन्हें राहत नहीं मिलती।