आज सुबह भीलवाड़ा जिला कलेक्टर कार्यालय में उस समय हड़कंप मच गया जब एक संदिग्ध ई-मेल के जरिए कार्यालय को बम से उड़ाने की धमकी दी गई। मेल के वायरल होते ही प्रशासनिक महकमे में अफरा-तफरी मच गई और तत्काल कलेक्ट्रेट परिसर को खाली करवा लिया गया। बाद में प्रशासन ने स्पष्ट किया कि यह एक मॉकड्रिल (आपातकालीन अभ्यास) थी, जिसका उद्देश्य सुरक्षा व्यवस्था और आपात प्रतिक्रिया प्रणाली की जांच करना था।
सुबह करीब 10:45 बजे कलेक्टर कार्यालय को एक ई-मेल प्राप्त हुआ, जिसमें बम विस्फोट की धमकी दी गई थी। सूचना मिलते ही जिला कलेक्टर जसमीत सिंह संधू और पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पूरे परिसर को खाली करवाया और अजमेर से बम निरोधक दस्ता बुलाया गया। कलेक्ट्रेट परिसर के सभी मुख्य द्वार बंद कर दिए गए और हर आने-जाने वाली गाड़ियों की गहन जांच शुरू हो गई।
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बम निरोधक दस्ते ने मौके पर पहुंचकर पूरे परिसर की सघन तलाशी ली। इस दौरान पुलिस बल, सुरक्षा एजेंसियां और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी स्थिति पर नजर बनाए हुए थे। कुछ ही समय बाद यह स्पष्ट किया गया कि यह पूरी प्रक्रिया एक पूर्व नियोजित मॉकड्रिल का हिस्सा थी। इसका उद्देश्य आपात स्थिति में प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां कितनी त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया परखना था।
शुरुआत में कार्यालय के अधिकारी-कर्मचारी और आम नागरिकों में डर और घबराहट का माहौल था। परिसर के बाहर लोगों की भीड़ में भी बेचैनी देखी गई, लेकिन जैसे ही मॉकड्रिल की जानकारी सामने आई, सभी ने राहत की सांस ली। पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि हमारी प्राथमिकता नागरिकों की सुरक्षा है। मॉकड्रिल जैसे अभ्यास हमें किसी भी वास्तविक संकट के लिए तैयार रखते हैं। वहीं जिला कलेक्टर जसमीत सिंह संधू ने कहा कि यह अभ्यास सुरक्षा प्रबंधन के तहत किया गया था, जिससे हमारी तैयारी और सुधार की आवश्यकता का आकलन हो सके। प्रशासन ने संकेत दिया है कि भविष्य में भी इस तरह की मॉकड्रिल समय-समय पर की जाएंगी ताकि किसी भी आपात स्थिति में तत्पर और संगठित प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा सके।