राजस्थान के कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने मालेगांव ब्लास्ट मामले में अदालत के फैसले के बाद तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह फैसला उन सभी लोगों के लिए स्पष्ट जवाब है जिन्होंने हिंदू आतंकवाद का नाम लेकर हिंदू धर्म को बदनाम करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि साध्वी प्रज्ञा समेत जिन लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया गया, उनका इस घटनाक्रम से कोई लेना-देना नहीं था। यह पूरा मामला पूर्ववर्ती सरकार की ओर से राजनीतिक षड्यंत्र के तहत बेगुनाहों को फंसाने की कोशिश थी।
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12 वर्षों बाद अदालत ने सुनाया फैसला
जोगाराम पटेल ने कहा कि निर्दोष होते हुए भी जिन लोगों पर आरोप लगे, उन्हें 12 साल तक मानसिक और सामाजिक यातना झेलनी पड़ी। दो से तीन साल तक जेल में रहना, जबकि किसी भी तरह का अपराध सिद्ध न हो पाना, यह दर्शाता है कि कैसे राजनीति के चलते न्याय प्रक्रिया का दुरुपयोग किया गया। मंत्री ने कहा कि जब फैसला आया तो साध्वी प्रज्ञा सिंह की आंखों में आंसू थे, क्योंकि बेगुनाह साबित होना किसी युद्ध जीतने से कम नहीं था।
‘हिंदू कभी आतंकवादी नहीं हो सकते’
कानून मंत्री ने कहा कि हिंदू धर्म कर्म, संस्कार और शांतिप्रियता का प्रतीक है। हिंदू कभी भी आतंकवादी नहीं हो सकता। जिन लोगों ने 'हिंदू आतंकवाद' जैसा शब्द चलाया, उन्हें आत्ममंथन करना चाहिए। यह न केवल हिंदू धर्म का अपमान था, बल्कि समाज में सांप्रदायिक विभाजन की कोशिश थी। अदालत का फैसला ऐसे सभी लोगों को आईना दिखाता है।
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‘तुष्टिकरण की राजनीति छोड़े कांग्रेस’
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के बयान पर पलटवार करते हुए जोगाराम पटेल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी धर्म, क्षेत्र या जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करती। हमारे लिए सभी धर्म समान हैं। जबकि कांग्रेस तुष्टिकरण की राजनीति करती रही है, जो अब जनता के सामने उजागर हो चुकी है। कांग्रेस नेताओं की बयानबाजी अवसरवाद पर आधारित होती है और यही कारण है कि पार्टी वार्ड पंच से लेकर संसद तक सिकुड़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस को खुद को विलुप्त होने से बचाना है, तो उसे सभी धर्मों के प्रति एक समान दृष्टिकोण अपनाना होगा और तुष्टिकरण की नीति से बाहर आना होगा।