राजस्थान के झालावाड़ जिले में हाल ही में स्कूल का जर्जर भवन गिरने से हुई सात बच्चों की मौत ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। इस घटना के बाद अब कोटा के छात्र भी अपनी सुरक्षा को लेकर गंभीर हो गए हैं। गुरुवार को राजकीय महाविद्यालय कोटा के छात्रों ने अपनी कक्षाओं की जर्जर हालत को लेकर अनोखा विरोध दर्ज कराया। छात्र और छात्राएं हेलमेट पहनकर कॉलेज पहुंचे और प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर बिल्डिंग की मरम्मत नहीं की गई, तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
छात्रों ने हेलमेट पहन जताई चिंता, प्रशासन को सौंपा ज्ञापन
कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र नेता हेमंत मीणा के नेतृत्व में छात्र-छात्राओं ने सहायक निदेशक, आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा को मुख्यमंत्री और उच्च शिक्षा मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। हेमंत मीणा ने बताया कि यह कॉलेज करीब 100 साल पुराना है और इसकी इमारत अब कई जगहों से गंभीर रूप से जर्जर हो चुकी है। कक्षाओं, स्टाफ रूम और प्रयोगशालाओं की छतों से प्लास्टर और सीमेंट के टुकड़े गिरते हैं। कुछ छतों पर आरसीसी की छड़ों में भी जंग लग चुका है जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
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छात्रों ने कहा कि झालावाड़ की घटना के बाद डर और बढ़ गया है, इसलिए विरोध के तौर पर उन्होंने हेलमेट पहनकर कक्षाएं अटेंड कीं। फिर कॉलेज में मौजूद छात्रों से छाता लेकर पढ़ाई करने की अपील की। उनका कहना है कि अगर प्रशासन ने उनकी बात नहीं मानी, तो वे बड़ा प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।
बिजली डीपी में करंट दौड़ने से चार भैंसों की मौत
इधर, कोटा के रनपुरा थाना क्षेत्र के देवनारायण आवासीय योजना में एक अलग ही दर्दनाक हादसा सामने आया। गुरुवार को बारिश के चलते बिजली की डीपी (Distribution Point) में करंट दौड़ गया, जिसकी चपेट में आकर चार भैंसों की मौके पर ही मौत हो गई।
स्थानीय लोगों के अनुसार, जहां पर यह हादसा हुआ, वहां डीपी के पास भारी मात्रा में पानी जमा हो गया था। जैसे ही भैंसें उस इलाके में पहुंचीं, वे करंट की चपेट में आ गईं। घटना की सूचना मिलते ही बिजली विभाग और केडीए (कोटा विकास प्राधिकरण) के अधिकारी मौके पर पहुंचे।
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पहले दी थी सूचना, फिर भी नहीं हुई कार्रवाई
स्थानीय निवासी महेश गुर्जर ने बताया कि देवनारायण योजना के सी-ब्लॉक में लगे ट्रांसफॉर्मर और डीपी के पास बारिश के समय नियमित रूप से पानी भर जाता है, जिससे करंट फैलने का खतरा बना रहता है। उन्होंने बताया कि 14 जुलाई को ही इस संबंध में बिजली विभाग को मौखिक रूप से सूचना दी गई थी, लेकिन विभाग ने कोई कदम नहीं उठाया। नतीजा आज आठ से दस लाख रुपये का नुकसान पशुपालकों को झेलना पड़ा।
पुलिस ने पशुपालक की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी गई है। स्थानीय लोगों की मांग है कि बिजली विभाग की लापरवाही को लेकर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में इस तरह के हादसे न हों।