केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी रविवार को कोटा दौरे पर रहे। इस दौरान वे कोटा जिले के जाखोड़ा स्थित गोयल ग्रामीण विकास संस्थान के श्रीरामशांताय जैविक कृषि अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र पहुंचे। उन्होंने परिसर में चल रहे गौ आधारित जैविक कृषि अनुसंधान और विकास से जुड़े प्रयासों का अवलोकन किया। इस अवसर पर उनके साथ कृष्णमुरारी जी (अखिल भारतीय बीज प्रमुख, भारतीय किसान संघ) और ताराचंद गोयल (निदेशक, गोयल ग्रामीण विकास संस्थान) भी उपस्थित रहे।
इसके बाद केंद्रीय मंत्री कृषक संवाद कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस कार्यक्रम में उन्होंने गौ आधारित कृषि पद्धति को अपनाने वाले सफल किसानों से संवाद किया और उनके अनुभव सुने। मंत्री चौधरी ने किसानों की बातों को सुनकर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह देश की सबसे सरल और वैज्ञानिक विधियों में से एक है, जो पोषक तत्वों और लाभकारी जीवाणुओं की दृष्टि से सस्ती, प्रभावी और अभिनव है। उन्होंने कहा कि यहां प्राचीन गौ आधारित जैविक खेती और नवीन तकनीकी का बेहतरीन समन्वय देखने को मिलता है। वैज्ञानिक व्यवस्था और व्यवस्थागत अनुशासन इस केंद्र को देश के जैविक कृषि के लिए एक महत्वपूर्ण मॉडल केंद्र बनाते हैं।
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केंद्रीय मंत्री चौधरी ने कहा कि यह केंद्र किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें गौ आधारित और सृष्टि हितकारी खेती अपनाने की प्रेरणा दे सकता है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि यदि इस प्रयास में उच्च तकनीकी समायोजन और अन्य पारंपरिक विषयों को जोड़ा जाए, तो जैविक खेती और अधिक तेजी से विकसित होगी और आधुनिक पीढ़ी भी इससे जुड़ सकेगी।
प्रयोगों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री भागीरथ चौधरी बताया कि भूमि में लाभकारी जीवाणुओं के संवर्धन के लिए देशी गाय का ताजा गोबर अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुआ है। 75 किलोग्राम ताजा गोबर प्रति एकड़ सिंचाई के साथ उपयोग कर सकारात्मक परिणाम देखे गए हैं। इसी प्रकार, फसल की बढ़वार के लिए 1.5 लीटर गौमूत्र और 2 ट्यूब चूना (जर्दा युक्त) को 13.5 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से भी लाभकारी परिणाम मिले हैं।
तीनों प्रयोगों को जोड़ते हुए उन्होंने एक बीघा (1620 वर्ग मीटर) में पोषण वाटिका विकसित करने की जानकारी दी, जिसमें एक परिवार के पांच सदस्यों के लिए आवश्यक अनाज, तिलहन, दलहन, फल, सब्जियां, औषधियां और चारे की फसलें तैयार की जा रही हैं। इसके लिए एक गाय के पालन से आवश्यक संसाधन भी मिल रहे हैं। कार्यक्रम के अंत में निर्मल गोयल, निदेशक, गोयल प्रोटीन्स लिमिटेड, कोटा ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया।