जिले में इस साल औसत से दोगुनी बारिश हुई। बीसलपुर बांध से लेकर सभी बड़े-छोटे बांध और तालाब लबालब हो गए। कई तालाब, जो बरसों से नहीं भरे थे, वे भी पूरी तरह भर गए। एक सप्ताह पहले हुई बारिश के बाद अब तक खेतों में पानी भरा हुआ है। ऐसे में खरीफ की फसल पूरी तरह चौपट हो चुकी है, वहीं मौसम में नरमी और बारिश के चलते सरसों की बुवाई भी समय पर नहीं हो पाएगी।
कृषि विभाग का कहना है कि जिले में करीब 70 प्रतिशत रकबे में सरसों की बुवाई अक्टूबर के पहले सप्ताह से शुरू हो जाती है लेकिन इस बार खेतों में पानी भरे होने से बुवाई नहीं हो पा रही है। मौसम खुलने और धूप तेज होने से मिट्टी सूखने लगी है, मगर कई जगह अब भी हालात ऐसे हैं कि ट्रैक्टर तक खेतों में नहीं जा पा रहा। इस देरी का सीधा असर रबी की पैदावार पर पड़ेगा।
किसानों का कहना है कि एक बीघा में बुवाई और बीज का खर्चा करीब 5 से 6 हजार रुपए आता है। जिन किसानों के पास 20 बीघा जमीन है, उन्हें अब तक 1 से 1.20 लाख रुपए का नुकसान हो चुका है। खेतों में काम बंद होने से बेरोजगारी की मार भी पड़ेगी।
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डांगरथल के किसान आमिर खान का कहना है कि 10 बीघा खेत में खरीफ की बुवाई की थी लेकिन अतिवृष्टि से सब चौपट हो गया। करीब सवा लाख रुपए का नुकसान हो चुका है। अब रबी सीजन की तैयारी में फिर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। वहीं डारडा हिंद के एक अन्य किसान रामेश्वर चौधरी कहते हैं- इस बारिश से किसानों को दोहरी मार पड़ी है। खरीफ सीजन में चारे तक की किल्लत रही। अब मवेशियों के लिए भी संकट गहराएगा।
कृषि विभाग के अनुसार सरसों की बुवाई का अच्छा समय सितंबर के अंत से 20 अक्टूबर तक होता है। चने की बुवाई 20 अक्टूबर से 5 नवंबर तक की जाती है। किसान बुवाई से पहले डीएपी खाद की खरीदारी कर रहे हैं लेकिन पानी भरे होने से बुवाई में देरी होना तय है।