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वीरों की धरती के छह योद्धाओं ने मनवाया था लोहा, शहादत देकर भी लिख दी थी विजय की पटकथा, VIDEO
गाजीपुर के वीरों योद्धाओं ने कारगिल की लड़ाई में भी न सिर्फ अपना लोहा मनवाया था, बल्कि अपनी शहादत से जीत की पटकथा लिख दी थी, जिनके शौर्य की गाथा आज भी लोगों से सुनने को मिलती है। इस युद्ध में जनपद के छह सपूतों ने अपनी शहादत दी, जबकि बड़ी संख्या में वीर सपूतों ने मां भारती के आन-बान शान के लिए जी-जान लगा दिया था। अमर शहीदों में फखनपुरा निवासी इश्तियाक खां का नाम सम्मान के साथ बड़े गर्व से लिया जाता है। 1996 में भारतीय सेना के 22 ग्रिनेडियर में इनकी भर्ती हुई थी। उनकी शादी 10 अप्रैल 1999 में हुई थी। उसी दौरान कारगिल का युद्ध छिड़ गया था। ऐसे में वे शादी के बाद तुरंत सरहद पर पहुंच गए थे। वह युद्ध के दौरान 30 जून 1999 को शहीद हो गए। भेलमपुर उर्फ पंडितपुरा के जयप्रकाश यादव 1996 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। इनकी शादी 12 मई 1999 को हुई थी। लेकिन, जंग की सूचना मिलते ही वह शादी के बाद बिना समय गंवाए देश की सीमा पर डट गए और मां भारती की सेवा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। भैरोपुर गांव निवासी का कमलेश सिंह की तैनाती 457 एफआरआई भटिंडा में लांस नायक पद पर हुई थी, जो 15 जून को शहीद हो गए थे। नंदगंज क्षेत्र के बाघों निवासी शेषनाथ यादव भटिंडा में लांस नायक पद पर तैनात थे और करगिल के जंग में शहीद हो गए थे। इनकी पत्नी सरोज यादव हर वर्ष कार्यक्रम भी अपने पैसे से करती हैं। पड़ेनिया गांव के लांस नायक रामदुलार यादव 1990 में कुमाऊ रेजिमेंट में भर्ती हुए थे। 21 अगस्त 1999 को इन्होंने देश की सेवा में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। धनईपुर में जन्मे संजय सिंह यादव एक सितंबर 1999 को इस जंग में शहीद बटालियन के 11वीं रेजीमेंट में तैनात थे। इम्तियाज खां देश सेवा की बात आती है तो करगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर शहीद और फखनपुरा गांव निवासी इश्तियाक खां और उनके परिवार का नाम बड़े गर्व से लिया जाता है। करगिल युद्ध में ही बड़े भाई इम्तियाज खां घायल हो गए थे। इस परिवार का एक और बेटा आज देश सेवा में लगा है, जबकि दूसरा बेटा आर्मी ज्वाइन करने का सपना संजोए तैयारी कर रहा है।
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