{"_id":"684ee6c85df524e38d0f2935","slug":"video-yoga-week-started-in-jaunpur-officials-practiced-and-learned-the-tricks-of-health-2025-06-15","type":"video","status":"publish","title_hn":"जौनपुर में योग सप्ताह की शुरूआत, अधिकारियों ने किया अभ्यास, सीखा स्वास्थ्य का गुर","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
जौनपुर में योग सप्ताह की शुरूआत, अधिकारियों ने किया अभ्यास, सीखा स्वास्थ्य का गुर
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित योग सप्ताह के अंतर्गत प्रथम दिवस पर जनपद के सभी ब्लाकों, तहसीलों, जिला मुख्यालय के साथ साथ सरकारी और निजी शैक्षणिक संस्थानों में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के प्रोटोकॉल का अभ्यास कराया गया।
जिला प्रशासन की ओर से लोहिया पार्क में प्रोटोकॉल का पूर्वाभ्यास किया गया। अपर ज़िलाधिकारी भू राजस्व अजय कुमार अंबष्ट और परियोजना निदेशक कृष्ण करुणाकर पांडेय के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके प्रोटोकॉल का शुभारंभ किया गया।
भू राजस्व अधिकारी द्वारा अपने संबोधन में कहा गया कि वैश्विक स्तर पर सर्वोत्तम स्वास्थ्य के लिए योग से बेहतर कोई भी माध्यम नहीं है। इसलिए हर व्यक्ति को नियमित रूप से योग के क्रियात्मक और सैद्धांतिक पक्षों का अभ्यास निरन्तर करते रहना है।
पुलिस अधीक्षक द्वारा अपने संबोधन में कहा गया कि तनाव और अनिद्रा जैसी अनगिनत समस्याओं के समाधान में योगाभ्यास की अपनी महति भूमिका है और वैश्विक स्तर पर योग नें रियोजना निदेशक द्वारा बताया गया कि हर व्यक्ति को अपनी शक्ति और सामर्थ्य के अनुसार ध्यान और प्राणायामों का अभ्यास नियमित रूप से करते रहना चाहिए।
पतंजलि योग समिति उत्तर प्रदेश के सह राज्य प्रभारी अचल हरीमूर्ति और अरविंद कुमार के द्वारा प्रोटोकॉल का अभ्यास कराया गया। हरीमूर्ति के द्वारा योग के क्रियात्मक और सैद्धांतिक पक्षों का अभ्यास कराते हुए बताया गया कि यह योग का प्रोटोकॉल वैश्विक स्तर पर बनाया गया है। जिसे सभी भौगौलिक परिवेश के सभी अवस्थाओं के लोग बहुत ही आसानी से करके अनेकों समस्याओं से पूर्णतः समाधान प्राप्त कर सकते हैं। सर्वाइकल, स्पोंडलाइटिस, कमर, रीढ़ की हड्डी और कंधों से सम्बंधित समस्याओं से पूर्णतः निदान हेतु उनसे संबंधित सरल और सहज व्यायामों का अभ्यास कराते हुए खड़े होकर, लेटकर, पेट और पीठ के बल लेटकर किये जानें वाले वृक्षासन, ताड़ासन, त्रिकोणासन, मकरासन, भुजंगासनों का अभ्यास कराते हुए उनसे होने वाले लाभों को भी बताया गया। इसी क्रम में कपालभाति, अनुलोम-विलोम, नाड़ी शोधन, शीतली के साथ भ्रामरी और उद्गगीथ प्राणायामों के साथ शव आसन को कराते हुए ध्यान का अभ्यास कराया गया।
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।