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VIDEO : जनजातियों को संरक्षित करने के लिए मुख्यधारा से जोड़ना होगा : टंडन
जनजातियों को संरक्षित करने के लिए उन्हें मुख्यधारा से जोड़ना होगा, इसके लिए आश्रय गृह की स्थापना जरूरी है। यह बात महिला अध्ययन केंद्र में उत्तराखंड की जनजातियों पर आधारित सम्मेलन में मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति राजेश टंडन ने कही। इस दौरान उन्होंने डॉ. जगदीश पंत की पुस्तक उत्तराखंड की बुक्सा जनजाति-भाषा और साहित्य का विमोचन किया। कुमाऊं विवि के महिला अध्ययन केंद्र में सोमवार को दो दिवसीय सम्मेलन शुरू हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति राजेश टंडन ने किया। परिसर निदेशक प्रो. नीता बोरा शर्मा ने कहा, उत्तराखंड की थारू, बुक्सा, जौनसारी, भोटिया और राजी जैसी जनजातियां स्वदेशी परंपराओं की अमूल्य धरोहर हैं। इनके ज्ञान और सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने महिला अध्ययन केंद्र का नाम माता रानी जिया रानी महिला अध्ययन केंद्र रखने की घोषणा की।
अल्मोड़ा विवि के कुलपति प्रो. सतपाल बिष्ट ने जनजातियों के संरक्षण, संवर्धन और प्रबंधन को समय की आवश्यकता बताया। कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. डीएस रावत ने कहा कि हम अपनी संस्कृति और इतिहास को भूलते जा रहे हैं। प्रो. विजया रानी ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में किए गए कार्य शोधार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। यहां प्रो. पिंकी शर्मा, प्रो. नुजरत परवीन खान, कुलसचिव डॉ. एमएस मंद्रवाल, प्रो. ललित तिवारी, डॉ. किरन तिवारी, प्रो. गीता तिवारी, डॉ. रितेश साह, डॉ. महेंद्र सिंह राणा आदि मौजूद रहे।
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