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UP: इंजेक्शन देख भागती थी... अब छलनी हो गया मासूम का शरीर; कुत्तों के भौंकने के शोर में दब गईं बच्ची की चीखें
अमर उजाला नेटवर्क, बस्ती
Published by: शाहरुख खान
Updated Mon, 30 Jun 2025 02:32 PM IST
सार
बस्ती के सोनहा थाना इलाके के टेढींकुईयां गांव के बाग में रविवार की सुबह एक 10 साल की बच्ची का खून से लथपथ शव मिला। ग्रामीण मौके पर पहुंचे तो कुत्तों के झुंड ने शव को घेर रखा था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बच्ची के शरीर पर 45 से अधिक जख्म मिलने की बात सामने आई है।
बस्ती के सोनहा थाना इलाके के टेढींकुईयां गांव के बाग में कुत्तों का शिकार बनी महज 10 साल की शब्बो बीमार होती थी तो डॉक्टर के यहां इसलिए घबराती थी इंजेक्शन लग जाएगा। छुई-मुई जैसी बालिका को कुत्तों ने नोच-नोचकर पूरा शरीर छलनी कर डाला। उसकी मां कहती है कि वह इंजेक्शन से काफी घबराती थी।
लोग बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि वह चीखी-चिल्लाई नहीं होगी मगर कुत्तों के भौंकने की आवाज नक्कारखाने में तूती साबित हुई। गांव के लोग बताते हैं कि उन लोगों ने कुत्तों के भौंकने की आवाज तो सुनी लेकिन समझ नहीं पाए कि वे कोई इंसान को नोच रहे होंगे।
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बच्ची का फाइल फोटो
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
लोग बताते हैं कि टेढ़ीकुइया और आसपास के गांव में हिंसक कुत्तों का एक झुंड काफी दिनों से आतंक मचाए है। अलीनगर के कुछ बच्चों और बकरियों पर भी कुत्तों ने हमला किया था। रविवार सुबह भी उसी गांव के एक सात वर्षीय बालक को भी कुत्तों ने काटकर घायल कर दिया। गांव के मो. हासिम का सात वर्षीय बेटा मैनुद्दीन रविवार की सुबह पांच बजे अपने बाबा के पीछे-पीछे गांव के बाहर सरयू नहर के पास शौच के लिए गया था।
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विलाप करते परिजन
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
वहां आवारा कुत्तों के झुंड ने उसे घेर लिया और काटने लगे। चीख पुकार सुनकर लोगों ने कुत्तों को खदेड़ कर उसे बचाया। मासूम को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डिप्टी सीवीओ डॉ. बलराम चौरसिया ने बताया कि ग्रामीणों को जागरूक किया गया है कि वे बच्चों को अकेले न छोड़ें। बचाव के लिए दो-तीन के समूह में ही बाहर निकलें।
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पूछताछ करती पुलिस
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
चार बहनों और एक भाई में दूसरे नंबर की थी नूरशबा
मुंबई में रहने वाले गयासुद्दीन करीब तीन महीने पहले घर से काम पर गया था। तभी से उसकी पत्नी मैराजुन्निशा बच्चों के साथ अपने भाइयों के घर आकर रह रही थीं। बच्चों में चार बेटियां 12 वर्षीय नूर शबाना खातून, 10 वर्षीय नूर शबा उर्फ शब्बो, 08 वर्षीय नूर फिजा, 06 वर्षीय आफिजा और डेढ़ साल का बेटा कल्लू उर्फ आजम शामिल हैं।
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मौके पर जमा भीड़ और पूछताछ करती पुलिस
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
इसलिए आक्रामक हो जाते हैं कुत्ते
डिप्टी सीवीओ डॉ. बलराम चौरसिया बताते हैं कि अक्सर कुत्ते डर, भूख और अपने एरिया की सुरक्षा के लिए आक्रामक हो जाते हैं। कई बार वे झुंड में होते हैं, जिससे उनकी आक्रामकता और बढ़ जाती है। इसके अलावा रेबीज जैसी बीमारी भी इनके व्यवहार को खतरनाक बना देती है। इंसानों का कुत्तों के प्रति गलत व्यवहार जैसे डराना या मारना भी उन्हें हमला करने के लिए उकसाता है।
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