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Political: दलित वोट बैंक को सियासी पतवार बनाने में जुटी सपा, डॉ. आंबेडकर के नाम पर दलितों को रिझाने की कोशिश

चंद्रभान यादव, अमर उजाला, लखनऊ Published by: शाहरुख खान Updated Sat, 01 Oct 2022 09:16 AM IST
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सार

सपा ने दलित वोटबैंक को साधने के लिए विधानसभा चुनाव से पहले 15 अप्रैल, 2021 को बाबा साहब वाहिनी बनाने का एलान किया। इसका असर यह रहा कि पूर्व कैबिनेट मंत्री केके गौतम, इंद्रजीत सरोज समेत बसपा के कई दलित नेताओं ने सपा की ओर रुख किया। अब वाहिनी के नाम पर पार्टी में राष्ट्रीय से लेकर विधानसभा क्षेत्रवार कमेटी बन गई है। 

Samajwadi Party engaged in making Dalit vote bank a political rudder
अखिलेश यादव - फोटो : amar ujala

विस्तार
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सपा दलित वोट बैंक को अपनी सियासी पतवार बनाना चाहती है। इसके लिए वह लगातार प्रयास कर रही है। सपा के प्रांतीय एवं राष्ट्रीय सम्मेलन में भी बार-बार दलितों के उत्पीड़न और डॉ. आंबेडकर के सपनों को साकार करने की दुहाई दी गई। सपा के रणनीतिकारों का मानना है कि पार्टी पांच फीसदी दलितों को अपने पाले में लाने में कामयाब रही तो प्रदेश की सियासी तस्वीर बदल जाएगी।
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सपा ने दलित वोटबैंक को साधने के लिए विधानसभा चुनाव से पहले 15 अप्रैल, 2021 को बाबा साहब वाहिनी बनाने का एलान किया। इसका असर यह रहा कि पूर्व कैबिनेट मंत्री केके गौतम, इंद्रजीत सरोज समेत बसपा के कई दलित नेताओं ने सपा की ओर रुख किया। अब वाहिनी के नाम पर पार्टी में राष्ट्रीय से लेकर विधानसभा क्षेत्रवार कमेटी बन गई है। 
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इसी तरह पिछले साल 26 नवंबर को कांशीराम स्मृति उपवन में पूर्व सांसद सावित्री बाई फुले की अगुवाई में संविधान बचाओ महाआंदोलन का आयोजन किया गया। इसमें बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ऐलान किया कि समाजवादी और आंबेडकरवादी मिलकर भाजपा का सफाया करेंगे। उन्होंने कहा कि लोहिया भी चाहते थे कि आंबेडकर के विचारों को मानने वाले साथ आएं। 

उसी दिन बाबा साहब के पौत्र व पूर्व सांसद प्रकाश आंबेडकर की मौजूदगी में विभिन्न दलों के दलित नेताओं ने सपा की सदस्यता ली। इसके बाद से सपा के हर कार्यक्रम में डॉ. लोहिया के साथ डॉ. आंबेडकर की बात होने लगी। विधानसभा चुनाव में निरंतर आंबेडकर और संविधान की बात करने का असर दिखा। सपा का वोटबैंक करीब 33 फीसदी तक पहुंच गया। 

अब प्रांतीय और राष्ट्रीय सम्मेलन में भी बार-बार आंबेडकर के सपनों की दुहाई देकर दलितों के बीच पैठ बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। दलितों के उत्पीड़न की घटना होने पर तत्काल सपा का प्रतिनिधिमंडल मौके पर भेजा जा रहा है। प्रदेश में करीब 11 फीसदी जाटव, तीन फीसदी पासी एवं दो फीसदी अन्य दलित जातियां हैं। पार्टी पांच फीसदी दलितों को अपने पाले में लाने के लिए विभिन्न कमेटियों में इनकी भागीदारी बढ़ाने की तैयारी में है। 

 
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