दलों के लिए किसी अबूझ पहेली से कम नहीं ये सीटें
प्रदेश के चौथे चरण में मध्य यूपी और बुंदेलखंड की जिन 14 लोकसभा सीटों पर 30 अप्रैल को मतदान होगा, वहां सामाजिक समीकरण कसौटी पर होंगे।
राजनीतिक दलों की उम्मीदें कहीं जातीय तो कहीं धार्मिक ध्रुवीकरण पर टिकी हैं। इन सीटों पर सभी दलों के दिग्गज चुनाव प्रचार कर चुके हैं।
चुनावी शोर थम जाने के बाद कहीं सीधा, कहीं तिकोना और कहीं बहुकोणीय संघर्ष नजर आ रहा है।
वर्ष 2009 में चौथे चरण की 14 सीटों में से कांग्रेस ने छह, सपा ने चार, बसपा ने तीन और भाजपा ने केवल एक (लखनऊ) सीट जीती थी। इस लिहाज से कांग्रेस के सामने अपना पुराना गढ़ बचाने की चुनौती है।
सपा को मिली कामयाबी
हालांकि वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा को अच्छी कामयाबी मिली थी। उसके सामने भी विधानसभा चुनाव का प्रदर्शन दोहराने का दबाव है।
चौथे चरण में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह, तीन केंद्रीय मंत्रियों श्रीप्रकाश जायसवाल, जितिन प्रसाद और प्रदीप जैन आदित्य के भाग्य का फैसला मतदाता करेंगे।
इसके अलावा मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, अनुसूचित जाति आयोग के चेयरमैन पीएल पुनिया, प्रदेश कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
यहां मुस्लिम वोट अहम
धौरहराः केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री जितिन प्रसाद क्षेत्र विकास के नाम पर धौरहरा में दूसरी बार वोट मांग रहे हैं। भाजपा की रेखा वर्मा, सपा के आनंद भदौरिया और बसपा के दाउद अहमद से उन्हें कड़ी चुनौती मिल रही है।
यहां कांग्रेस, सपा और बसपा की नजरें अपने परंपरागत वोटों के साथ ही मुसलमानों के रुझान पर भी टिकी हैं।
सीतापुर: मुस्लिमों को लुभाने की कोशिश
यहां से बसपा ने मौजूदा सांसद केसर जहां को फिर से मैदान में उतारा है। सपा ने भरत त्रिपाठी, भाजपा ने राजेश वर्मा और कांग्रेस ने वैशाली अली को टिकट दिया है।
इस सीट पर सीधे मुकाबले की स्थिति नहीं बन रही है। किसी गैर भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण नतीजों को प्रभावित कर सकता है।
मोदी लहर से फर्क
मिश्रिख: त्रिकोणात्मक मुकाबले के आसार
इस सुरक्षित सीट पर बसपा ने मौजूदा सांसद अशोक कुमार रावत पर भरोसा जताया है। भाजपा ने अंजु बाला, सपा ने जयप्रकाश और कांग्रेस ने ओमप्रकाश को चुनाव में उतारा है। मुकाबला त्रिकोणात्मक है।
सभी दलों ने ताकत झोंक रखी है। सपा, बसपा को जहां जातीय समीकरणों का भरोसा है, वहीं भाजपा प्रत्याशी मोदी लहर के आधार पर उम्मीदें लगाए हैं।
उन्नाव: रोचक जंग में अनु टंडन
लखनऊ-कानपुर के बीच की इस सीट पर रोचक चुनावी जंग हो रही है। यहां कांग्रेस ने मौजूदा सांसद अनु टंडन को फिर से मैदान में उतारा है।
बसपा से पूर्व सांसद बृजेश पाठक, भाजपा से साक्षी महाराज और सपा से अरुण शंकर शुक्ला मैदान में हैं। सभी प्रत्याशियों के बीच ब्राह्मणों के साथ ही अन्य वर्गों के मतों को लेकर जंग है। यहां अनु की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
मुकाबला आसान नहीं
मोहनलालगंज: मुकाबला तिकोना
राजधानी लखनऊ की चार और सीतापुर की एक विधानसभा सीट से बने मोहनलालगंज संसदीय क्षेत्र में सपा, बसपा और भाजपा के बीच त्रिकोणात्मक मुकाबला माना जा रहा है।
सपा ने मौजूदा सांसद सुशील सरोज को टिकट दिया है। उनके मुकाबले बसपा से पूर्व मंत्री आरके चौधरी, भाजपा से पुराने वामपंथी नेता कौशल किशोर और कांग्रेस से नरेंद्र गौतम मैदान में हैं।
लखनऊ: राजनाथ-रीता में मुकाबला
राजधानी लखनऊ में यूं तो कुल 29 प्रत्याशी हैं लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच माना जा रहा है। भाजपा से राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह तो कांग्रेस से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी मैदान में हैं।
रीता लखनऊ कैंट सीट से विधायक भी हैं। सपा के अभिषेक मिश्रा और बसपा के नकुल दुबे मुख्य मुकाबले में आने के लिए पूरी ताकत झोंके हुए हैं। आम आदमी पार्टी के जावेद जाफरी भी अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं।
रायबरेली में एकतरफा
रायबरेली: हार-जीत के अंतर पर नजर
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का चुनाव क्षेत्र होने के कारण रायबरेली पर सभी की नजरें टिकी हैं। यहां भाजपा ने अजय अग्रवाल, बसपा ने प्रवेश सिंह और आम आदमी पार्टी ने अर्चना श्रीवास्तव को मैदान में उतारा है।
यहां से आम तौर पर सोनिया की जीत लगभग तय मानी जा रही है। नतीजों से ज्यादा चर्चा इस बात को लेकर है कि सोनिया की जीत का अंतर पिछली बार से कम रहेगा या ज्यादा। अजय अग्रवाल और प्रवेश सिंह मुख्य मुकाबले में आने की कोशिशों में जुटे हैं।
कानपुर: जोशी-जायसवाल में जंग
औद्योगिक नगर कानपुर में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी और केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है। हालांकि बसपा के सलीम अहमद और सपा के सुरेंद्र मोहन अग्रवाल ने मुख्य मुकाबले में आने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है।
आम आदमी पार्टी से महमूद हसन रहमानी चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर इसलिए भी नजर लगी है कि मुरली मनोहर जोशी को उनकी इच्छा के खिलाफ वाराणसी से यहां भेजा गया है। कांग्रेस ने फिर से जायसवाल पर ही दांव लगाया है।
झांसी को उमा से उम्मीदें
जालौन: सभी ने झोंकी ताकत
बुंदेलखंड की इस सीट पर दो बार टिकट बदलने के बाद सपा ने आखिरकार अपने मौजूदा सांसद घनश्याम अनुरागी को मैदान में उतारा।
भाजपा से भानु प्रताप सिंह वर्मा, बसपा से बृजलाल खाबरी और कांग्रेस से विजय चौधरी मैदान में हैं। तस्वीर त्रिकोणात्मक मुकाबले की बन रही है। सभी दलों में जीत के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है।
झांसी: उमा से उम्मीदें
बुंदेलों की धरती पर भाजपा से उमा भारती के चुनाव मैदान में उतरने से झांसी की चुनावी जंग दिलचस्प हो गई है। पिछली बार यहां से कांग्रेस के प्रदीप जैन आदित्य जीते थे। वे केंद्र सरकार में राज्यमंत्री हैं। कांग्रेस ने फिर उन्हीं पर दांव लगाया है।
सपा ने मुलायम सिंह यादव परिवार के नजदीकी डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव, बसपा ने अनुराधा शर्मा और आम आदमी पार्टी ने अर्चना शर्मा को टिकट दिया है। दिलचस्प तिकोने चुनाव की तस्वीर उभरती दिख रही है।
स्पष्ट नहीं तस्वीर
हमीरपुर: सीधे मुकाबले में आने की कोशिश
पिछली बार यहां से बसपा से विजय बहादुर सिंह विजयी रहे थे। बसपा ने उनकी जगह राकेश कुमार गोस्वामी को चुनाव मैदान में उतारा है।
भाजपा कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल, कांग्रेस प्रीतम सिंह लोधी ‘किसान’ और सपा विशंबर प्रसाद निषाद को चुनाव लड़ा रही है। आम आदमी पार्टी से अतुल कुमार प्रजापति प्रत्याशी हैं। सभी दल मुख्य मुकाबले के लिए पूरा जोर लगाए हैं।
बांदा: पटेलों के गढ़ में जंग
वर्ष 2009 में यहां से सपा के आरके सिंह पटेल विजयी रहे थे। सपा छोड़ हाथी पर सवार होकर वे यहीं से बसपा प्रत्याशी हैं। कुर्मी मतों की बहुलता को देखते हुए सपा ने मिर्जापुर के सांसद बाल कुमार पटेल को बांदा से उतारा है।
कांग्रेस से विधायक बांदा के विधायक विवेक कुमार में हैं। भाजपा से भैरो प्रसाद मिश्र चुनाव लड़ रहे हैं। दो मजबूत पटेलों की मौजूदगी और विवेक सिंह के मैदान में उतरने से चुनाव रोचक हो गया है। भैरो प्रसाद मोदी लहर के भरोसे जंग लड़ रहे हैं।
मोदी इफेक्ट भुनाने की कोशिश
फतेहपुर: परीक्षा नसीमुद्दीन की
सपा ने इस सीट पर मौजूदा सांसद राकेश सचान को फिर से टिकट दिया है। उनके मुकाबले बसपा से राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बेटे अफजल सिद्दीकी, भाजपा से विधायक साध्वी निरंजन ज्योति और कांग्रेस से ऊषा मौर्य चुनाव लड़ रही हैं।
सपा और बसपा के बीच इस सीट पर मुस्लिम वोटों को लेकर मारामारी है। उनके बीच साध्वी निरंजन मोदी इफेक्ट को भुनाने की कोशिश में हैं। इस सीट पर फिलहाल त्रिकोणात्मक मुकाबले की तस्वीर उभरती नजर आ रही है।
बाराबंकी: पुनिया के सामने चुनौती
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पीएल पुनिया बाराबंकी सुरक्षित सीट से वर्ष 2009 में सांसद चुने गए थे। कामयाबी को दोहराने के लक्ष्य के साथ वे फिर से मैदान में हैं।
उन्हें भाजपा की प्रियंका सिंह रावत, सपा की राजरानी रावत और बसपा के कमला प्रसाद रावत से चुनौती मिल रही है। बाराबंकी, केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा का गृह जनपद है। चुनावी नतीजों से तय होगा कि चुनाव पर बेनी-पुनिया के बीच कोल्ड वार की छाया पड़ी या नहीं।