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Lucknow News: बचत के जुगाड़ में लखनऊ के चक्कर लगा रहे भ्रष्ट परिवहन अफसर
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एसटीएफ की जांच के बीच पुराने अफसरों की धड़कनें बढ़ीं
ट्रांसपोर्टरों ने भी खोला मोर्चा, की शिकायतें
माई सिटी रिपोर्टर
लखनऊ। ओवरलोडिंग वाहनों से होने वाली वसूली में परिवहन विभाग के कई बड़े अफसरों की कारस्तानियां भी एसटीएफ की टीम के हाथ लगी हैं। कई पुराने अफसर अब बचत की जुगाड़ में लग गए हैं। वह लखनऊ के चक्कर लगा रहे हैं। यहां डेरा डाले हुए हैं। आला अफसरों से लेकर मंत्रियों तक से गुहार लगा रहे हैं।
करीब दो हफ्ते पूर्व एसटीएफ की टीम ने वाहनों की ओवरलोडिंग से होने वाली वसूली के सिंडिकेट का खुलासा किया था। मड़ियांव थाने में एआरटीओ, प्रवर्तन राजीव कुमार बंसल सहित कई लोगों को नामजद किया। इसके बाद एसटीएफ की टीम ने ट्रांसपोर्टनगर आरटीओ में भी पूछताछ की और दस्तावेजों को खंगाला। साथ ही प्रदेशभर में फैले इस सिंडिकेट को परत दर परत खोलने का प्रयास किया। सूत्र बताते हैं कि एसटीएफ की टीम के हाथ कई पूर्व अफसरों के भी इस सिंडिकेट में शामिल होने के सबूत लगे हैं। इसमें लखनऊ में तैनात रहे प्रवर्तन अफसरों के नाम भी हैं। इतना ही नहीं परिवहन विभाग में तैनात प्रवर्तन से जुड़े आला अफसर भी वसूली के सिंडिकेट का हिस्सा रहे हैं। ऐसे में जैसे-जैसे एसटीएफ की जांच आगे बढ़ रही है, अफसरों की धड़कनें भी बढ़ती जा रही हैं। सूत्र बताते हैं कि कई अफसर लखनऊ में डेरा डाले हुए हैं। वह परिवहन मंत्री से लेकर अन्य मंत्रियों के संपर्क में हैं। बचत का जुगाड़ लगा रहे हैं। देखना दिलचस्प होगा कि उनके प्रयास कितने कारगर साबित होंगे।
ट्रांसपोर्टरों ने भी की शिकायतें
एसटीएफ की जांच के बीच ट्रांसपोर्टरों ने भी वसूली के सिंडिकेट को लेकर शिकायतें की हैं। आटो लोडर संयुक्त कल्याण समिति ने पुरानी शिकायतों की लिस्ट बनाई है। दो-तीन साल पहले लखनऊ में तैनात रहे अफसर अब दूसरे जिलों में बड़ी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। अफसर ओवरलोडिंग की वसूली नहीं देने पर जानबूझकर चालान काटते थे। ऐसे में इन शिकायतों की पड़ताल भी सिंडिकेट का पर्दाफाश करने में मदद करेगी।
व्हाट्सएप कॉल के भरोसे अफसर
सूत्र बताते हैं कि परिवहन विभाग में प्रवर्तन से जुड़े अफसरों ने अपने नंबर बंद कर रखे हैं। जिन्होंने नंबर ऑन रखे हैं, वह रेगुलर कॉल पर बात करने से बच रहे हैं। अफसर व्हाट्सएप के भरोसे मातहतों व अन्य लोगों से बातचीत कर रहे हैं। कुछ अफसरों ने नए नंबर ले लिए हैं, जिनकी जानकारी विभागीय साथियों को भी नहीं है।
ट्रांसपोर्टरों ने भी खोला मोर्चा, की शिकायतें
माई सिटी रिपोर्टर
लखनऊ। ओवरलोडिंग वाहनों से होने वाली वसूली में परिवहन विभाग के कई बड़े अफसरों की कारस्तानियां भी एसटीएफ की टीम के हाथ लगी हैं। कई पुराने अफसर अब बचत की जुगाड़ में लग गए हैं। वह लखनऊ के चक्कर लगा रहे हैं। यहां डेरा डाले हुए हैं। आला अफसरों से लेकर मंत्रियों तक से गुहार लगा रहे हैं।
करीब दो हफ्ते पूर्व एसटीएफ की टीम ने वाहनों की ओवरलोडिंग से होने वाली वसूली के सिंडिकेट का खुलासा किया था। मड़ियांव थाने में एआरटीओ, प्रवर्तन राजीव कुमार बंसल सहित कई लोगों को नामजद किया। इसके बाद एसटीएफ की टीम ने ट्रांसपोर्टनगर आरटीओ में भी पूछताछ की और दस्तावेजों को खंगाला। साथ ही प्रदेशभर में फैले इस सिंडिकेट को परत दर परत खोलने का प्रयास किया। सूत्र बताते हैं कि एसटीएफ की टीम के हाथ कई पूर्व अफसरों के भी इस सिंडिकेट में शामिल होने के सबूत लगे हैं। इसमें लखनऊ में तैनात रहे प्रवर्तन अफसरों के नाम भी हैं। इतना ही नहीं परिवहन विभाग में तैनात प्रवर्तन से जुड़े आला अफसर भी वसूली के सिंडिकेट का हिस्सा रहे हैं। ऐसे में जैसे-जैसे एसटीएफ की जांच आगे बढ़ रही है, अफसरों की धड़कनें भी बढ़ती जा रही हैं। सूत्र बताते हैं कि कई अफसर लखनऊ में डेरा डाले हुए हैं। वह परिवहन मंत्री से लेकर अन्य मंत्रियों के संपर्क में हैं। बचत का जुगाड़ लगा रहे हैं। देखना दिलचस्प होगा कि उनके प्रयास कितने कारगर साबित होंगे।
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ट्रांसपोर्टरों ने भी की शिकायतें
एसटीएफ की जांच के बीच ट्रांसपोर्टरों ने भी वसूली के सिंडिकेट को लेकर शिकायतें की हैं। आटो लोडर संयुक्त कल्याण समिति ने पुरानी शिकायतों की लिस्ट बनाई है। दो-तीन साल पहले लखनऊ में तैनात रहे अफसर अब दूसरे जिलों में बड़ी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। अफसर ओवरलोडिंग की वसूली नहीं देने पर जानबूझकर चालान काटते थे। ऐसे में इन शिकायतों की पड़ताल भी सिंडिकेट का पर्दाफाश करने में मदद करेगी।
व्हाट्सएप कॉल के भरोसे अफसर
सूत्र बताते हैं कि परिवहन विभाग में प्रवर्तन से जुड़े अफसरों ने अपने नंबर बंद कर रखे हैं। जिन्होंने नंबर ऑन रखे हैं, वह रेगुलर कॉल पर बात करने से बच रहे हैं। अफसर व्हाट्सएप के भरोसे मातहतों व अन्य लोगों से बातचीत कर रहे हैं। कुछ अफसरों ने नए नंबर ले लिए हैं, जिनकी जानकारी विभागीय साथियों को भी नहीं है।