सुना है क्या: आज 'कोडीन भइया का एक और कारनामा', साथ में 'पदाधिकारियों से दुर्गति और छटपटाते जिन्न' के किस्से
यूपी के राजनीतिक गलियारे और प्रशासन में तमाम ऐसे किस्से हैं, जो हैं तो उनके अंदरखाने के... लेकिन, चाहे-अनचाहे बाहर आ ही जाते हैं। ऐसे किस्सों को आप अमर उजाला के "सुना है क्या" सीरीज में पढ़ सकते हैं। तो आइए पढ़ते हैं इस बार क्या है खास...
विस्तार
यूपी के राजनीतिक गलियारे और प्रशासनिक गलियों में आज तीन किस्से काफी चर्चा में रहे। चाहे-अनचाहे आखिर ये बाहर आ ही जाते हैं। इन्हें रोकने की हर कोशिश नाकाम होती है। आज की कड़ी में 'कोडीन भइया के एक और कारनामे' की कहानी। साथ ही 'पदाधिकारियों से दुर्गति और फिर बाहर निकलने को बेताब जिन्न' के किस्से भी चर्चा में रहे। आगे पढ़ें, नई कानाफूसी...
...तो माननीय भी पी गए सिरप
कई वर्षों से लोगों को नशीला सिरप पिलाने वाले कोडीन भइया के एक और कारनामे की सियासी गलियारों में चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि कोडीन भइया इस काले धंधे में शामिल मुख्य आरोपी के साथ ही गैंग के सभी सदस्यों को चुनाव लड़ाने की तैयारी करा रहे थे। एक क्षेत्रीय दल वाले माननीय को कोडीन भइया ने 50 लाख रुपये का एडवांस टोकन भी पहुंचा दिया था। यही वजह है कि जब से यह मामला खुला है, तब से माननीय की घिग्घी बंधी है। वह न तो किसी से मिल रहे हैं और न ही किसी से बात कर रहे हैं। माननीय टेंशन में हैं कि कहीं कोडीन भइया के चक्कर में कुर्सी न चली जाए।
ऐसे पदाधिकारियों से दुर्गति
अर्श से फर्श पर आए एक दल में ऐसे पदाधिकारी भी हैं, जिनके पास संगठन से जुड़े कामों की जिम्मेदारी है। लिहाजा उनके नाम से ही तमाम आदेश-निर्देश भी जारी होते हैं। पार्टी हाईकमान से मिलवाने के एवज में शुकराना लेने वाले पदाधिकारी की हर काम को गोपनीय रखने की आदत भी है। गोपनीयता के फेर में उन्होंने शहर में एक ऐसी बैठक करवा दी जो वास्तव में 500 किमी दूर हुई थी। अब उनकी इस हरकत से पार्टी कैडर वाले हैरत में हैं। यह कानाफूसी भी कर रहे हैं कि पार्टी को बदनाम कराने वालों को आखिर कब तक ढोया जाएगा।
