सुना है क्या: आज 'नए चेहरों को आस, पुराने परेशान'; साथ ही मिट्टी की तलाश व मुखिया के आगमन पर ही जश्न के किस्से
यूपी के राजनीतिक गलियारे और प्रशासन में तमाम ऐसे किस्से हैं, जो हैं तो उनके अंदरखाने के... लेकिन, चाहे-अनचाहे बाहर आ ही जाते हैं। ऐसे किस्सों को आप अमर उजाला के "सुना है क्या" सीरीज में पढ़ सकते हैं। तो आइए पढ़ते हैं इस बार क्या है खास...
विस्तार
यूपी के राजनीतिक गलियारे और प्रशासनिक गलियों में आज तीन किस्से काफी चर्चा में रहे। चाहे-अनचाहे आखिर ये बाहर आ ही जाते हैं। इन्हें रोकने की हर कोशिश नाकाम होती है। आज की कड़ी में विवि में 'मुखिया के आगमन पर ही जश्न' की चर्चा। इसके अलावा 'नए चेहरों को आस... पुराने परेशान' और 'मिट्टी की तलाश' के किस्से भी चर्चा में रहे। आगे पढ़ें, नई कानाफूसी...
नए चेहरों को आस, पुराने परेशान
जब से यह खबर उड़ी है कि नए साल में मंत्रिमंडल विस्तार होना है और कुछ नए चेहरों को जगह देने के साथ कुछ पुराने पत्ते साफ भी हो सकते हैं तब से खलबली मची है। ऐसे माननीय अपनी कुंडली लेकर टॉप के ज्योतिषाचार्यों के पास बैठे हैं। बढ़िया महकमे पर काबिज दो माननीयों का ब्लड प्रेशर बढ़ा है। लोग ऊपर से लेकर पंचम तल तक की खुसफुसाहट के मायने अपने-अपने तरीके से निकाल रहे हैं। ब्रांडिंग के लिए अपने कामकाज का बायोडाटा बनवाया जा रहा है। इस हाल पर एक वरिष्ठ नौकरशाह ने नसीहत दी, चुनावी साल है। ब्रांडिंग का कोई काम नहीं। पॉलिटिकल नफा नुकसान में जो फिट बैठेगा, उसी की लॉटरी खुलेगी तो किसी का पत्ता कटेगा। बहरहाल मंत्रिमंडल में एक स्मार्ट युवा नेता की एंट्री तय मानी जा रही है।
मिट्टी की तलाश
सेहत से जुड़े संस्थान में इन दिनों मिट्टी की तलाश है। इसके लिए कमेटी बना दी गई है। इस कमेटी में ज्यादातर डॉक्टर हैं। ये डॉक्टर धूल बनकर उड़ने वाली मिट्टी को दूरबिन से ढूंढ रहे हैं। ढूंढने पर भी ये कहीं दिखाई नहीं पड़ी तो एक अधिकारी को नोटिस जारी कर दिया। अब वह अधिकारी नोटिस लेकर इधर-उधर हल्ला मचा रहा है। बता रहा है कि मिट्टी उन्होंने नहीं उड़ाई है। अब देखना यह है कि यह कमेटी मिट्टी उड़ाने वालों का पता लगा पाती है या नहीं।
मुखिया के आगमन पर ही जश्न
सूबे एक पुराने विश्वविद्यालय में नए मुखिया के स्वागत की तैयारियां पूरी हैं, लेकिन उनके आगमन को लेकर संशय है। उम्मीद थी कि चार महीने की प्रतीक्षा इस साल के अंत तक खत्म होगी और विवि को नए मुखिया मिल जाएंगे लेकिन मामला लटक गया है। इसे लेकर कानाफूसी शुरू हो गई है। पता चला है कि मुखिया की सेटिंग तो हो गई है लेकिन नियुक्ति में देर की वजह कुछ और है। ऐसे में अब यही उम्मीद है कि नए साल में जश्न के बीच नए मुखिया की एंट्री होगी। तभी नए साल का जश्न भी मनेगा।
