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यूपी: प्रदेश में अब आयुर्वेद डॉक्टरों से भी कराए जाएंगे ऑपरेशन, ईएनटी सहित इन सर्जरी को मिली मंजूरी

चन्द्रभान यादव, अमर उजाला ब्यूरो लखनऊ Published by: रोहित मिश्र Updated Wed, 31 Dec 2025 08:12 AM IST
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सार

Surgery in UP: यूपी के आयुर्वेद डॉक्टर अब छोटे-मोटे ऑपरेशन कर सकेंगे। इसके लिए आयुष विभाग नए सिरे से गाइड लाइन तैयार कर रहा है। 

UP: Ayurvedic doctors will now be able to perform surgeries in the state, including ENT procedures, which will
आयुर्वेद डॉक्टर कर सकेंगे ऑपरेशन। - फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
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 प्रदेश में आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी की अनुमति दी जाएगी। वे टांके लगाने, बवासीर, फोड़ा फुंसी और नाक, कान गला से जुड़ी सर्जरी कर सकेंगे। इसके लिए आयुष विभाग नए सिरे से गाइड लाइन तैयार कर रहा है। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद यह व्यवस्था लागू की जएगी। इससे सामान्य सर्जरी के मरीजों को उनके घर के नजदीक आयुर्वेद अस्पतालों में उपचार मिल सकेगा।

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प्रदेश में बीएचयू, राजकीय एवं निजी आयुर्वेद कॉलेजों में शल्य तंत्र और शल्यक की परास्नातक की पढ़ाई होती है। भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (सीसीआईएम) इन दोनों विषयों में पढ़ाई करने वाले छात्रों को सर्जरी की अनुमति दी है। हालांकि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन इसका विरोध कर रहा है। इसे लागू करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। ऐसे में आयुष विभाग नए सिरे से गाइडलाइन तैयार कर रहा है। ताकि परास्नातक डिग्रीधारी आयुर्वेद डॉक्टरों को सर्जरी की अनुमति दी जा सके। इस गाइडलाइन को कैबिनेट में रखा जाएगा। वहां से मंजूरी मिलती है तो आयुष अस्पतालों में भी सर्जरी हो सकेगी। 
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इसके तहत आयुर्वेद डॉक्टरों को घावों को टांके लगाना, फोड़े फुंसी की सर्जरी, बवासीर/फिशर का इलाज, छोटे सिस्ट/ट्यूमर निकालने, स्किन प्रत्यारोपण, मोतियाबिंद की सर्जरी और दांत में रूट कैनाल जैसे कार्य करने की अनुमति मिलेगी। इसके पीछे तर्क है कि एलोपैथिक अस्पतालों में मामूली सर्जरी के लिए लगने वाली मरीजों की भीड़ कम होगी।

विशेष प्रशिक्षण की भी व्यवस्था

सूत्रों के मुताबिक नई गाइडलाइन में यह प्रावधान किया जा रहा है कि आयुर्वेद परास्नातक डिग्रीधारी डॉक्टरों को छह माह का एलोपैथी चिकित्सालयों में विशेष प्रशिक्षण दिया जाए। जहां वे आपात स्थिति में प्रबंधन, एलोपैथी से होने वाली सर्जरी में बरती जाने वाली सावधानी आदि से वाकिफ हो सकेंगे।

क्यों तैयार की जा रही गाइडलाइन
भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (सीसीआईएम) ने शल्य और शल्य के स्नातकोत्तर छात्रों को विशिष्ट शल्य चिकित्सा करने की अनुमति देने के लिए भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (स्नातकोत्तर आयुर्वेदिक शिक्षा) विनियम, 2016 में संशोधन किया है। इसके तहत शल्य तंत्र (सामान्य शल्य चिकित्सा) और शल्यक (आंख, नाक, गला, सिर और दंत चिकित्सा) में स्नातकोत्तर शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र इस विधा में सर्जरी कर सकेंगे। इसके बाद 2020 में इसमें संशोधन किया गया। ऐसे में अब सभी राज्यों को बारी- बारी से संशोधन के मुताबिक सर्जरी के लिए अपने राज्यों में अनुमति देनी है।

आंध्र प्रदेश ने लागू किया यह मॉडल

स्नातकोत्तर आयुर्वेदिक डाक्टरों को स्वतंत्र रूप से सर्जरी करने संबंधी नियमावली को आंध्र प्रदेश में अनुमोदित कर दी गई है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार
नए सिरे से नियमावली तैयार कराई जा रही है। अन्य राज्यों में शुरू की गई व्यवस्था का भी आकलन किया जा रहे हैं। आयुर्वेद में सर्जरी पढ़ाई जाती है। उन्हें सर्जरी की अनुमति मिलने से मरीजों को फायदा होगा। आयुर्वेद अस्पतालों को भी उच्चीकृत किया जाएगा। वहां सभी तरह के संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे।- रंजन कुमार, प्रमुख सचिव आयुष ।

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