यूपी: बिजली उपभोक्ताओं के लिए राहत की खबर, जनवरी में 2.33% कम आएगा बिल; छंटनी पर सीएम से दखल की मांग
Electricity bill in UP: उप्र पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा ईंधन अधिभार शुल्क को लेकर नया आदेश जारी किया गया है। इस आदेश के बाद जनवरी का बिजली बिल कुछ कम आएगा।
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उप्र पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा ईंधन अधिभार शुल्क को लेकर नया आदेश जारी किया गया है। इसके तहत अक्टूबर माह के ईंधन अधिभार का समायोजन जनवरी 2026 में किया जाएगा, जिसमें प्रदेश के सभी विद्युत उपभोक्ताओं को 2.33 प्रतिशत का रिबेट मिलेगा। इससे जनवरी माह में बिजली दरें एक माह के लिए सस्ती रहेंगी और प्रदेशभर के उपभोक्ताओं को लगभग 141 करोड़ रुपये का सीधा लाभ होगा।
इससे पहले सितंबर माह का ईंधन अधिभार दिसंबर में 5.56 प्रतिशत की दर से वसूला गया था, जिससे उपभोक्ताओं को करीब 264 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष एवं राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का पहले से ही 33,122 करोड़ रुपये का सरप्लस बिजली कंपनियों के पास जमा है।
इसके अतिरिक्त चालू वित्तीय वर्ष में लगभग 18,592 करोड़ रुपये का सरप्लस और जुड़ने की संभावना है। इस प्रकार प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का 51 हजार करोड़ रुपये से अधिक का सरप्लस बिजली कंपनियों पर बना हुआ है।
उन्होंने मांग की कि जब तक उपभोक्ताओं का यह सरप्लस उपलब्ध है, तब तक ईंधन अधिभार शुल्क के नाम पर किसी भी प्रकार की वसूली न की जाए, बल्कि आवश्यक समायोजन सरप्लस से ही किया जाए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में ट्रांसमिशन डिमांड बेस्ड टैरिफ लागू हो चुका है तथा प्रदेश में नई बिजली दरों के आदेश भी प्रभावी हैं। ऐसे में आने वाले महीनों में भी ईंधन अधिभार शुल्क में कमी जारी रहने की पूरी संभावना है।
संविदा कर्मियों की छंटनी पर सीएम योगी से दखल देने की मांग
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि वे हस्तक्षेप करें, जिससे प्रदेश के विद्युत वितरण निगमों में बड़े पैमाने पर हो रही संविदा कर्मियों की छंटनी और रिस्ट्रक्चरिंग के नाम पर हजारों पदों को समाप्त करने का सिलसिला बंद हो। उन्होंने कहा कि छंटनी से प्रदेश की बिजली व्यवस्था के पटरी से उतरने का खतरा है।
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि रिस्ट्रक्चरिंग के पीछे मुख्य मकसद प्रदेश के कई शहरों की बिजली व्यवस्था फ्रेंचाइजी को देना है जबकि आगरा में फ्रेंचाइजी का प्रयोग पूरी तरह विफल हो चुका है। संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों ने बताया कि अत्यंत अल्प वेतन भोगी संविदा कर्मियों को विगत मई माह से हजारों की संख्या में बिना किसी मापदंड के हटाया जा चुका है। मई 2017 में पॉवर कॉर्पोरेशन द्वारा जारी आदेश में संविदा कर्मियों को रखे जाने के मापदंड निर्धारित किए गए हैं। इनके अनुसार शहरी क्षेत्र में विद्युत उपकेंद्र पर 36 कर्मचारी और ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत उपकेंद्र पर 20 कर्मचारी होने चाहिए।
समिति ने बताया कि सभी विद्युत वितरण निगमों में संविदा कर्मियों के किए जा रहे नए टेंडर में मई, 2017 के मापदंड का उल्लंघन करते हुए 27% से 45% तक संविदा कर्मियों की छंटनी की जा रही है। संघर्ष समिति ने कहा कि इसके साथ ही लखनऊ, मेरठ, अलीगढ़, बरेली, नोएडा में वर्टिकल रिस्ट्रक्चरिंग कर हजारों नियमित पदों को समाप्त कर दिया गया है, जिससे इन शहरों में बिजली व्यवस्था को लेकर अफरातफरी मची है। बिजली कर्मियों ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया एवं उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों के विरोध में व्यापक जनसंपर्क कर आंदोलन को तेज करने की तैयारी की।
