गोरखनाथ मंदिर से 1001 महिलाओं ने सिर पर कलश लेकर निकाली यात्रा, तस्वीरों में देखें विहंगम नजारा
इस दौरान श्री काशी विश्वनाथ डमरू दल तथा बैंड बाजा के धार्मिक धुन से वातावरण भक्तिमय हो गया था। मानसरोवर मंदिर में आचार्य पं. रामानुज त्रिपाठी के नेतृत्व में पंचांग पूजन, यज्ञ मंडप में प्रवेश, अग्नि का प्राकट्य, वेेदी का निर्माण तथा 33 करोड़ देवी-देवताओं के आह्वान किया गया।
इस अवसर पर गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास, द्वारिका तिवारी, योगी शांतिनाथ, पीके मल्ल, वीरेंद्र सिंह, कथा वाचक बालकदास, आचार्य डॉ. रोहित कुमार मिश्र, पुष्पदंत जैन, दुर्गेश बजाज, विनय गौतम, संगीता पासवान, मोनिका तिवारी, किरण प्रजापति, उषा चौहान, खूशबू गुप्ता आदि मौजूद रहे।
ज्ञान, वैराग्य और साधुता के परम आदर्श हैं शिव : बालक दास
गोरखपुर। मानसरोवर परिसर में शुक्रवार को शुरू हुए सात दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा के दौरान कथा व्यास बालक दास ने कहा कि भगवान शिव का चरित्र बड़ा ही उदात्त एवं अनुकंपा पूर्ण है। वे ज्ञान, वैराग्य तथा साधुता के परम आदर्श हैं। दुष्ट दैत्यों के संहार में काल रूप हैं तो दीन दुखियों की सहायता करने में दयालुता के समुद्र हैं। जिसने उन्हें प्रसन्न कर लिया उसको मनमाना वरदान मिला। मार्कण्डेय जी को अपनाकर यमदूतों को भगा दिया। सभी देवता समुद्र मंथन से निकले हुए लक्ष्मी, कामधेनु, कल्पवृक्ष और अमृत ले गए लेकिन शिव हलाहल पान करके संसार की रक्षा के लिए नीलकंठ बन गए। कथा व्यास ने कहा कि जो व्यक्ति शिवपुराण को पढ़ता है उसको मोक्ष की प्राप्ति होती है। अगर किसी व्यक्ति से अनजाने या जान-बूझकर कोई पाप हो जाए तो शिवपुराण को पढ़ने से उसके घोर पाप नष्ट हो जाते हैं।
15 फरवरी : पूजन के बाद मूर्तियों का संस्कार एवं जलाधिवास
16 फरवरी : पूजन के बाद मूर्तियों का संस्कार एवं अन्नाधिवास
17 फरवरी : पूजन के बाद मूर्तियों का संस्कार एवं पुष्पाधिवास, फलाधिवास
18 फरवरी : पूजन के बाद मूर्तियों का संस्कार एवं शैयाधिवास।
19 फरवरी : पूजन के बाद मूर्तियों का संस्कार, करन्यास, नगर परिक्रमा।
20 फरवरी : पूजन के बाद 10.30 बजे से मूर्तियों की अचल प्राण-प्रतिष्ठा।
