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हिरासत में मौत का मामला: पुलिस ने की थी सफाईकर्मी की पिटाई ? पोस्टमार्टम रिपोर्ट से फंसेगी गर्दन

अमर उजाला ब्यूरो, आगरा Published by: मुकेश कुमार Updated Fri, 22 Oct 2021 12:24 AM IST
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agra custodial death latest news: injury marks on body revealed in the post-mortem report
मृतक अरुण का फाइल फोटो - फोटो : अमर उजाला

आगरा में पुलिस हिरासत में सफाईकर्मी अरुण की मौत का कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हृदय घात से होना आया है। उसके शरीर पर चार चोटों के निशान भी मिले हैं। हालांकि यह चोट ऐसी नहीं कि मृत्यु हो जाए। मगर, जानकार मानते हैं कि चोटों से पुलिस की गर्दन फंस सकती है। यह पुलिस की पिटाई को साबित करने के लिए काफी है।



पूर्व डीआईजी महेश कुमार मिश्र ने बताया कि हर पुलिस अधिकारी और कर्मचारी का कर्तव्य है कि किसी व्यक्ति की हिरासत में मौत न होने दे। अगर, मौत होती है तो पुलिसकर्मी ही जिम्मेदार माने जाते हैं। फिर चाहें मौत कैसे भी हो। दोष सिद्ध होने पर सजा हो सकती है। अरुण की मौत के मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चार चोटें आई हैं। नितंब पर नीले निशान मिले हैं। पैरों पर खरोंच है। हालांकि मौत का कारण हृदय घात से होना आया है। मृत्यु से पूर्व चोट आना पुलिस की पिटाई को साबित करते हैं। भले ही यह ऐसी चोट नहीं थी कि मौत हो जाए। 

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आगरा: इसी मालखाने से हुई थी चोरी - फोटो : अमर उजाला
क्या रिकवरी मेमो बनाया गया?
महेश मिश्र कहते हैं कि निशानदेही पर अगर, रकम बरामद हुई है तो रिकवरी मेमो बनाना चाहिए। इसके लिए गवाह भी पुलिस के पास होने चाहिए। तब साबित होगा कि चोरी के माल की बरामदगी हुई। मेमो पर गवाहों के हस्ताक्षर होते हैं। अगर, आरोपी व्यक्ति हस्ताक्षर करने से मना करता है तो यह मेमो में लिखा जाना चाहिए। मालखाने की चोरी के मामले में आरोपी संदिग्ध था। आरोपी को ले जाने वाले पुलिसकर्मियों की आमद और रवानगी जीडी में दर्ज होनी चाहिए। फर्द भी मौके पर बनाने का नियम है।
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जगदीशपुरा थाना - फोटो : अमर उजाला
थाने में क्यों रखी थी रकम और सोना ?
पूर्व डीआईजी ने थाने पर करोड़ों का सोना और 24 लाख से अधिक कैश रखा होने पर सवाल उठाया। कहा कि बरामदगी में जब थाने पर ज्यादा रकम आती है तो उसे ट्रैजरी या सदर मालखाने में रखा जाना चाहिए। जगदीशपुरा में चोरी के मामले में डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक का सोना और 24 लाख कैश बरामद हुआ। इसे मालखाने के बक्से में रख दिया गया, जबकि इसे तुरंत ट्रैजरी भेजा जाना चाहिए था।
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हिरासत में सफाई कर्मी की मौत का प्रकरण - फोटो : अमर उजाला
कागजों में होता है मालखाने का निरीक्षण
पूर्व डीआईजी ने यह भी कहा कि थाने के मालखाने में क्या सामान रखा है। कितना सोना है, कितना कैश रख है, सुरक्षा के क्या इंतजाम हैं, इसके बारे में जानने के लिए रोजाना थाना प्रभारी निरीक्षण करते हैं। इसके लिए रजिस्टर पर हस्ताक्षर भी करने होते हैं। यह सुबह सात से आठ बजे के बीच हो जाने चाहिए। मगर, अब यह सिर्फ खानापूर्ति ही रह गया है। थाना प्रभारी रात तक गश्त पर रहते हैं। दिन में जल्दी थाने आना मुश्किल होता है। ऐसे में निरीक्षण के नाम पर खानापूर्ति ही की जाती है। अधिकारी भी मासिक निरीक्षण कम ही करते हैं।
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आगरा: थाना जगदीशपुरा - फोटो : अमर उजाला
जिनकी कस्टडी में होगा, वही बनेंगे आरोपी
सेवानिवृत्त सीओ बीएस त्यागी ने बताया कि हिरासत में किसी व्यक्ति की मौत होने पर पुलिसकर्मी ही जिम्मेदार माने जाते हैं। पुलिस के सामने मृत्यु से पूर्व जो बयान दिया होगा उससे पुलिस की जांच आगे बढ़ेगी। पुलिस की जीडी में पुलिसकर्मियों की रवानगी और आमद होती है। जिन कर्मियों की हिरासत में रखा गया होगा, वहीं मौत के मामले में आरोपी भी बनाए जा सकते हैं। 
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