‘हजारों शेर मेरे सो गए कागज की कब्रों में, अजब मां हूं कोई बच्चा मेरा जिंदा नहीं रहता।’ शायर बशीर बद्र ने यह शेर एक बेबस मां के कलेजे से निकले शब्दों से पिरोया गया होगा। फिरोजाबाद में इन दिनों माहौल कुछ ऐसा ही है। बुखार से तपते बच्चे मां-बाप के हाथों में ही दम तोड़ रहे हैं। अस्पतालों में चीत्कार, घरों में मातम और सुनसान गलियां। डेंगू और वायरल के प्रकोप ने सुहागनगरी को अपनी चपेट में ले लिया है। सरकारी विभाग एक-दूसरे पर इस महामारी का ठीकरा फोड़ने में जुटे हैं।
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फिरोजाबाद से ग्राउंड रिपोर्ट: मां-बाप के हाथों में दम तोड़ रहे बुखार से तपते बच्चे, घरों में मची चीत्कार
मीनेत रघुवंशी, अमर उजाला, फिरोजाबाद
Published by: मुकेश कुमार
Updated Fri, 03 Sep 2021 12:26 PM IST
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फिरोजाबाद: बीमार बच्ची को गोद में ले जाता पिता
- फोटो : अमर उजाला
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फिरोजाबाद: वायरल बुखार का प्रकोप
- फोटो : अमर उजाला
बुधवार देर रात और गुरुवार को हुईं इन तीनों की बच्चों की मौतों के अलावा जिले में अब तक 14 साल से कम उम्र के 60 बच्चे बीमारी के कारण काल के गाल में समा चुके हैं। इन बच्चों ने अपने ही मां-बाप की आंखों के सामने दम तोड़ दिया। उनके उज्ज्वल भविष्य को लेकर माता-पिता ने तमाम सपने बुने थे, जो पल भर में चकनाचूर हो गए।
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मृतक हर्ष का फाइल फोटो
- फोटो : अमर उजाला
नसीब में न था रोटी का टुकड़ा
संत नगर के हर्ष उर्फ गुड्डू के पिता अतेंद्र और उसकी मां संगीता के आंसू नहीं थम रहे हैं। पेशे से अतेंद्र चूड़ी कारीगर हैं। हर्ष उनका इकलौता लड़का था। मां ने एक प्लेट में रखे रोटी के टुकड़े की ओर इशारा किया और रोते हुए कहा कि गुड्डू के नसीब में इतनी सी रोटी भी नहीं थी। मेरे हाथों में ही उसके प्राण निकल गए। 12 साल की कोमल और पांच साल की सिमर भी अपने भाई को खोने से सदमे में हैं।
संत नगर के हर्ष उर्फ गुड्डू के पिता अतेंद्र और उसकी मां संगीता के आंसू नहीं थम रहे हैं। पेशे से अतेंद्र चूड़ी कारीगर हैं। हर्ष उनका इकलौता लड़का था। मां ने एक प्लेट में रखे रोटी के टुकड़े की ओर इशारा किया और रोते हुए कहा कि गुड्डू के नसीब में इतनी सी रोटी भी नहीं थी। मेरे हाथों में ही उसके प्राण निकल गए। 12 साल की कोमल और पांच साल की सिमर भी अपने भाई को खोने से सदमे में हैं।
शोकाकुल परिजन
- फोटो : अमर उजाला
खाली पड़ा झूला और दूध की बोतल
करबला की गली नंबर छह के गुड्डू के घर भी मातम है। 18 माह के उनके बेटे ऋषभ को भी बुखार लील गया। ऋषभ की मां एकटक उसके छोटे से झूले और दूध की बोतल को ओर देख रही है और अपने आप से बातें करने लगती है। घर में मौजूद अन्य लोग उसे ढांढस बंधा रहे हैं। यह सिलसिला सुबह से चल रहा था। मोहल्ले के अन्य लोग भी अपने बच्चों के लिए चिंतित हैं।
करबला की गली नंबर छह के गुड्डू के घर भी मातम है। 18 माह के उनके बेटे ऋषभ को भी बुखार लील गया। ऋषभ की मां एकटक उसके छोटे से झूले और दूध की बोतल को ओर देख रही है और अपने आप से बातें करने लगती है। घर में मौजूद अन्य लोग उसे ढांढस बंधा रहे हैं। यह सिलसिला सुबह से चल रहा था। मोहल्ले के अन्य लोग भी अपने बच्चों के लिए चिंतित हैं।
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फिरोजाबाद: झलकारी में बांटी गईं दवाइयां
- फोटो : अमर उजाला
सबकी आंखों का तारा थी मनु
सुदामा नगर की छह माह की मनु के परिजनों का भी बुरा हाल है। उन्होंने बताया कि 26 अगस्त से बुखार आ रहा था। सरकारी अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था। एक सितंबर को आगरा रेफर किया गया। यहां बुधवार देररात तीन बजे नन्हीं सी जान से दम तोड़ दिया। घर वालों का रो-रोकर बुरा हाल है। पड़ोसी भी परेशान हैं। मनु सभी की आंखों का तारा था लेकिन बुखार ने उसे भी छीन लिया।
सुदामा नगर की छह माह की मनु के परिजनों का भी बुरा हाल है। उन्होंने बताया कि 26 अगस्त से बुखार आ रहा था। सरकारी अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था। एक सितंबर को आगरा रेफर किया गया। यहां बुधवार देररात तीन बजे नन्हीं सी जान से दम तोड़ दिया। घर वालों का रो-रोकर बुरा हाल है। पड़ोसी भी परेशान हैं। मनु सभी की आंखों का तारा था लेकिन बुखार ने उसे भी छीन लिया।