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आगरा हादसा: पांच की मौत...कोई रोटी कमाने के लिए निकला, कोई घर के बाहर बैठा था; रुला रहा करुण क्रंदन

अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा Published by: धीरेन्द्र सिंह Updated Mon, 27 Oct 2025 09:26 AM IST
सार

आगरा में हुए दर्दनाक हादसे में पांच लोगों की मौत हो गई। किसी ने जवान बेटा खो दिया, तो किसी का सुहाग उजड़ गया। 

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Five Death Nagla Budhi Families Cry for Justice After Speeding Car Horror
आगरा हादसा। - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
किसी ने बेटा खो दिया तो किसी का सुहाग उजड़ गया। दर्द ऐसा कि सह पाना भी मुश्किल, आंखों में अपनों को खोने का गम है तो जुबां पर पुलिस के खिलाफ गुस्सा। नगला बूढ़ी के चार परिवारों का यही हाल है। मृतकों के घरों में करुण क्रंदन गूंज रहा है।

लोगों का कहना है कि पहले पुलिस की लापरवाही से चालक ने कार तेज चलाकर पांच लोगों की जान ले ली। इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने बीमा दिलाने का झूठा आश्वासन देकर शवों का अंतिम संस्कार करा दिया। अब न कोई पूछने वाला है न ही इंसाफ दिलाने वाला। अब तो सिर्फ आंसू बचे हैं।

शुक्रवार रात को नगला बूढ़ी इलाके में तेज रफ्तार कार ने सात लोगों को टक्कर मार दी थी। इसमें पांच लोगों की मौत हुई जबकि दो गंभीर घायल हैं। मृतकों में नगला बूढ़ी निवासी बबली, कमल, कृष, बंटेश और आवास विकास कॉलोनी निवासी भानु प्रताप शामिल थे। बबली के 4 बच्चे हैं। बेटा गोलू भी हादसे में घायल है। मां को खोने के बाद बच्चे गम में डूबे हुए हैं। उन्हें कोई संभालने वाला नहीं है।

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Five Death Nagla Budhi Families Cry for Justice After Speeding Car Horror
आगरा हादसा। - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
किसके सहारे जी पाएगा परिवार
बबली घरों में कामकाज कर परिवार का पेट पाल रही थीं। वह 10 साल से मायके में रह रही थीं। बात करने पर परिवार के लोग फूट-फूट कर रोने लगे। बाद में कहा कि मासूम बच्चों का अब क्या होगा। पुलिस ने आश्वासन दिया था कि बीमा कंपनी से पांच लाख रुपये मुआवजा दिला दिया जाएगा। मगर अब पता चला है कि मुआवजा के लिए कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने होंगे। तब तक परिवार किसके सहारे जी पाएगा। झूठे आश्वासन देकर पुलिस ने अंतिम संस्कार में ही जल्दबाजी दिखाई। अधिकारी अब परिवार का दर्द जानने नहीं आ रहे हैं।

 
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आगरा हादसा। - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
पिता को याद कर रहा मासूम बेटा
कुछ यही हाल कमल के घर का भी रहा। कमल के दो साल के बेटे को बुआ ज्योति संभाल रही थीं। बेटा बार-बार पापा-पापा कहकर पुकार रहा था। परिजन ने बताया कि बेटे को संभालना मुश्किल हो रहा है। शाम को काम से लौटने पर कमल सबसे पहले बेटे को गोद में उठा लेता था। उसे टाॅफी और चॉकलेट दिलाकर लाता था। बुआ उसे संभाल जरूर रही हैं। मगर वह हर बार पापा-पापा बोलकर सबको रुला देता है। उसकी मां की 2 साल पहले ही मौत हो गई थी। कहीं से बच्चे की परवरिश के लिए मदद का आश्वासन नहीं मिला है।

 
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आगरा हादसा। - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
बुढ़ापे की लाठी टूट गई
कृष की मौत के बाद बाद उनका भाई और मां सदमे में हैं। मां गीता का कहना है कि बुढ़ापे की लाठी तो टूट गई। पुलिस ने मुआवजा दिलाने का भरोसा दिलाया था। अब तो वह भी उम्मीद नजर नहीं आ रही है। कल तक तो दस्तावेज मांग रहे थे। अब वो भी मांगना बंद हो गया।

 
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आगरा हादसा। - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
भानू की पत्नी और बहन हुईं बेसुध
आवास विकास सेक्टर-1 निवासी भानू प्रताप की मौत के बाद सबसे गहरा सदमा उनकी पत्नी और बहन को लगा है। दो साल के बेटे को यह भी नहीं पता की सिर से पिता का साया उठ गया। 22 नवंबर की बहन की शादी है। कहीं से कुछ नहीं मदद नहीं मिली। घर का कमाने वाला ही ही अब इस दुनिया में नहीं है। ऐसे में अब बहन के हाथ पीले कैसे होंगे।
 
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