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तस्वीरें: तिरंगे में लिपट कर आऊं तो रोना मत...सरहद पर जाते वक्त पत्नी से कहे ये शब्द

न्यूज डेस्क, अमर उजाला सौंख (मथुरा) Updated Tue, 14 Aug 2018 09:29 PM IST
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Martyr Army Jawan Pushpendra Singh family story
फाइल फोटो
मथुरा के लाल पुष्पेंद्र को अपनी शहादत का अहसास पहले ही हो गया था। दो माह पहले छुट्टियों के बीच में ही उसे बुला लिया गया तो उसने अपनी पत्नी सुधा से कहा था कि तिरंगे में लिपट कर आऊं तो रोना मत। पति की यह याद करते हुए सुधा रोते हुए बिलख पड़ती है।
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तस्वीरें: तिरंगे में लिपट कर आऊं तो रोना मत...सरहद पर जाते वक्त पत्नी से कहे ये शब्द

Martyr Army Jawan Pushpendra Singh family story
shaheed pushpendra singh - फोटो : अमर उजाला
पति की शहादत की खबर जैसे ही सोमवार को उनकी पत्नी सुधा को मिली तो वो होशोहवास खो बैठीं। सुधा ने बिलखते हुए बताया कि उनके पति को शहादत का अहसास पहले से हो गया था। वो मई में छुट्टी लेकर घर आए थे। यूनिट से अचानक बुलावा आया और वो अधूरी छुट्टी काटकर 26 मई को रवाना हो गए। 
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शहीद पुष्पेंद्र सिंह की पत्नी सुधा
जाने से पहले वीर जवान पुष्पेंद्र ने बताया कि सीमा पर कुछ गड़बड़ है। फौज को मेरी जरूरत है। उन्होंने पत्नी से कहा कि मैं जब तिरंगे में लिपट कर घर आऊं तो तुम आंसू नहीं बहाना। मेरा सौभाग्य होगा कि मैं देश के काम आ सका। सुधा की इन बातों को सुनकर हर किसी के रौंगटे खड़े हो रहे थे। 

तस्वीरें: तिरंगे में लिपट कर आऊं तो रोना मत...सरहद पर जाते वक्त पत्नी से कहे ये शब्द

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रोते बिलखते परिजन
27 साल के पुष्पेंद्र सिंह का विवाह 17 फरवरी 2016 को ही आगरा के गांव जोनई निवासी सुधा के साथ हुआ था। सात माह पहले ही सुधा ने पुत्र को जन्म दिया है। आज उसके घर में मातम पसरा हुआ है। पत्नी सुधा रो रोकर बेसुध हो रही है। बेटे के गम में बूढ़ी मां को होशोहवास नहीं है। पिता भी अपनी पथराई आंखों में आंसू सूख गए हैं। 
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शहीद पुष्पेंद्र सिंह - फोटो : अमर उजाला
इस बीच सबसे ज्यादा चुभ रहा है, तो उस मासूम बेटे की खामोशी, जो सात माह पहले ही इस दुनिया में आया। जिसे अपने पिता का ढंग से दुलार भी मिल नहीं पाया। इससे पहले वो शहीद हो गए। गमजदा बैठी अपनी मां की गोद में वो भी खामोश है। शहीद के परिवार की माली हालत ठीक नहीं है। उनके पिता राज मिस्त्री का काम करते हैं। उनके फौज में जाने के बाद परिवार वालों को हालात सुधरने की उम्मीद जगी थी, लेकिन नियत को कुछ और ही मंजूर था। 
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