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विश्व पर्यावरण दिवस: ऐसे बनाएं घर को 'ग्रीन हाउस', शुद्ध वातावरण के साथ मिलेगी गर्मी से राहत

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, आगरा Published by: मुकेश कुमार Updated Tue, 04 Jun 2019 08:21 PM IST
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बैंक कर्मी का ग्रीन हाउस - फोटो : अमर उजाला

आगरा में 45-46 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच जब आसमान से अंगारे बरस रहे हैं तो तपती-चुभती गर्मी से बचने के उपाय भी ढूंढे जा रहे हैं। शहर के कुछ लोगों ने झुलसाने वाली गर्मी की काट ढूंढ ली है। इन्होंने घर को ग्रीन हाउस में तब्दील कर दिया है। इससे तापमान पांच डिग्री तक कम रहता है। एसी की जरूरत नहीं पड़ती, कूलर और पंखे से ही भरपूर ठंडक मिलती है।



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मकान की दीवार पर हरियाली - फोटो : अमर उजाला

यह बहुत मुश्किल काम नहीं है। घर की दीवारों पर वर्टिकल गार्डन यानी दीवारों पर ही बेल, पौधे लगाकर इनका तापमान कम किया जा सकता है। जो लोग ग्रीन हाउस बनाकर गर्मी में ठंडक का अहसास कर रहे हैं, उनमें बेहद घने बसे पुराने शाहगंज के भोगीपुरा में बैंक कर्मी चंद्रशेखर शर्मा शामिल हैं। वो स्टेट बैंक में हैं। उन्होंने घर की सभी बाहरी दीवारों पर बोगनबिलिया, चंपा, मधु मालती, चमेली, बेला, कनेर लगाए हैं। 

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दीवार पर हरी भरी बेल - फोटो : अमर उजाला

मकान की कई दीवारों पर करेले, सेम, तोरई की बेल हैं, जो फूलदार कील की मदद से दीवार पर चढ़ाई गई हैं। यह दीवार पर 9 से 12 इंच तक चौड़ाई में है। आंगन की चारों दीवारों पर बेल के साथ अनार, नीबू, किन्नू, नारंगी लगाया गया है, जबकि बाहरी दीवारों के किनारे अशोक के पेड़ लगाए गए हैं। इससे धूप सीधी दीवारों पर नहीं पड़ती। 

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वर्टिकल गार्डन - फोटो : अमर उजाला

चंद्रशेखर शर्मा ने घर में बाहर पत्थर का फर्श लगाने की जगह घास लगाई है और केवल तीन फुट जगह में ही पत्थर लगाए हैं ताकि बारिश और छत का पानी रीचार्ज हो सके। छत पर रूफ टॉप गार्डन और गमलों को रखा गया है। घर को ग्रीन हाउस बनाने के लिए हर दिन सुबह दो घंटे पौधों को देना होता हैं। चंद्रशेखर कहते हैं कि घर में जहां धूप आती है, उन सभी दीवारों पर घनी बेल होने और छत पर बागीचा बनाने से तापमान में पांच डिग्री तक का अंतर आता है।

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बैंक कर्मी चंद्रशेखर शर्मा - फोटो : अमर उजाला

चंद्रशेखर बताते हैं कि आगरा के खारेपानी के कारण जीरोफाइट पौधों के साथ कैक्टस, देसी गुलाब, फाइकस परिवार के पौधे लगाए हैं। इनसे ऑक्सीजन भी भरपूर मिलती है। बोगनबिलिया में कम पानी चाहिए। इसकी 400 वैराइटी हैं। किचन वेस्ट से खाद बनाकर इन्हीं गमलों और पौधों में उपयोग करते हैं। गर्मी की छुट्टियों में वो समर कैंप के जरिए स्कूली बच्चों को हरियाली के प्रति जागरूक कर रहे हैं। 

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