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Allahabad University : रैगिंग के आरोपी छात्रों के अभिभावकों ने जताया खेद, बोले-अब नहीं होगी गलती

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Fri, 17 Oct 2025 07:21 PM IST
सार

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पीसीबी छात्रावास में रैगिंग के आरोपी सभी 18 छात्रों व उनके अभिभावकों ने बृहस्पतिवार को कुलानुशासक कार्यालय में जांच समिति के सामने अपना पक्ष रखा।

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Allahabad University: Parents of students accused of ragging expressed regret, said – now the mistake will not
इलाहाबाद विश्वविद्यालय, (AU) - फोटो : X(@UoA_Official)

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पीसीबी छात्रावास में रैगिंग के आरोपी सभी 18 छात्रों व उनके अभिभावकों ने बृहस्पतिवार को कुलानुशासक कार्यालय में जांच समिति के सामने अपना पक्ष रखा। अभिभावकों ने खेद प्रकट करते हुए कहा कि आगे से इस तरह की गलती नहीं होगी। इसी क्रम में विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों व अभिभावकों का संयुक्त हलफनामा भी मांगा है।



छात्रावास में रैगिंग की शिकायत पर कुलानुशासक की ओर से छापा मारा गया था। प्रारंभिक जांच में रैगिंग का मामला सामने आया था। हालांकि छात्रों ने लिखित में अपना पक्ष रखते हुए रैगिंग में शामिल न होने की बात कही है। पूरे मामले की जांच अभी भी जारी है।

कुलानुशासक की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी कर रैगिंग के दोषी पाए गए 18 छात्रों को छात्रावास से निकलने के अलावा अभिभावकों के साथ उपस्थित होने के लिए कहा गया था। इसी क्रम में बृहस्पतिवार को सभी 18 छात्र अपने अभिभावकों संग कुलानुशासक कार्यालय में उपस्थित हुए।

अभिभावकों को रैगिंग से संबंधित वीडियो, व्हाट्सअप चैट और अन्य साक्ष्य दिखाए गए। कुलानुशासक प्रो. राकेश सिंह ने बताया कि अभिभावकों ने छात्रों के इस कृत्य पर खेद प्रकट किया। साथ में आश्वस्त किया कि आगे से छात्र इस तरह की कोई गलती नहीं करेंगे।

इसी परिप्रेक्ष्य में कुलानुशासक ने अभिभावकों से हलफनामा मांगा। कुलानुशासक ने बताया कि अभिभावकों व छात्रों का संयुक्त हलफनामा मांगा गया है। हलफनामे में यह भी होगा कि आगे से इस तरह के किसी कृत्य पर विश्वविद्यालय कार्रवाई कर सकता है। प्रो. राकेश सिंह का कहना है कि छात्रों के बयान व हलफनामे समेत पूरी जानकारी जांच समिति को सौंप दी जाएगी। जांच समिति की रिपोर्ट व संस्तुति के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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केपीयूसी में वैध छात्रों की जमा होगी फीस, अवैध होंगे बाहर

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के केपीयूसी छात्रावास में वैध छात्रों की फीस जमा की जाएगी। इसके बाद छापा मारकर अवैध रूप से रह रहे लोगों को छात्रावास से बाहर किया जाएगा। केपीयूसी छात्रावास में मंगलवार की रात दो गुटों के बीच मारपीट हुई थी। इसके अगले दिन बुधवार की आधी रात के बाद भी छात्रों के बीच जमकर मारपीट हुई। छात्रों ने बमबाजी भी की जिसकी थाने में शिकायत की गई। इसके बाद से छात्रावास के बाहर पुलिस तैनात कर दी गई है।

इसी के साथ छात्रावास में वैध छात्रों की फीस लेने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। केपीयूसी छात्रावास कायस्थ पाठशाला ट्रस्ट का है लेकिन गतिरोध की वजह से वर्तमान में हॉस्टल में वार्डन व अधीक्षक की नियुक्ति नहीं है। इसकी वजह से वैध छात्रों ने भी फीस जमा नहीं की है। बमबाजी और मारपीट की घटना के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन सख्त हुआ है। साथ ही वैध छात्रों ने बाहरी लोगों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

इसी क्रम में उन्होंने बृहस्पतिवार को डीएसडब्ल्यू को ज्ञापन सौंपकर वैध छात्रों की फीस जमा करने की मांग की। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से भी सत्यापन कराके वैध छात्रों की फीस जमा करने का निर्णय लिया गया है। चीफ प्राॅक्टर प्रो. राकेश सिंह ने बताया कि फीस जमा होने के बाद छात्रावास में अभियान चलाकर अवैध छात्रों को बाहर किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कायस्थ पाठशाला ट्रस्ट के पदाधिकारियों से भी बात हो गई है। दिवाली बाद वार्डन व अधीक्षक की नियुक्ति किए जाने की भी उम्मीद है।

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एक छात्र से रैगिंग की भी शिकायत

केपीयूसी छात्रावास में एक छात्र से रैगिंग की भी शिकायत हुई है। हालांकि चीफ प्राॅक्टर प्रो. राकेश सिंह का कहना है कि छात्रावास में कोई छात्र नवप्रवेशी नहीं है। यह मारपीट का मामला है। एक-दो दिन में इसकी रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जब भूमि अधिग्रहण मामले में मुआवजा बढ़ाने के लिए वैकल्पिक वैधानिक उपाय मौजूद है तो पहले वहां जाएं। सीधे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल नहीं की जानी चाहिए। इस टिप्पणी संग न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने हाथरस निवासी रामशंकर यादव और एक अन्य की याचिका खारिज कर दी।

रामशंकर की मौजा इकबालपुर के गौसगंज गांव में जमीन है। राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के लिए उनकी जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया। इस दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के तहत जिला मजिस्ट्रेट/मध्यस्थ की ओर से तीन जुलाई, 2025 के तहत मुआवजा राशि चार हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर निर्धारित की गई। इस फैसले को याची ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।
याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि मध्यस्थ ने 26 जून 2025 के डिप्टी रजिस्ट्रार (स्टाम्प) के पत्र में उल्लिखित उच्च दर (14,500 रुपये और 12,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर) को अनदेखा करते हुए मनमाने ढंग से केवल 4,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर तय की।

याची की मुआवजा राशि उच्च दर के अनुसार बढ़ाई जानी चाहिए। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिवक्ता प्रांजल मेहरोत्रा ने दलील दी कि याचिकाकर्ता मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 34 के तहत उपलब्ध वैधानिक उपाय का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। सीधे हाईकोर्ट आ गए हैं। ऐसे में यह याचिका पोषणीय नहीं है।

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