नाग अश्विन के निर्देशन में बनी पुराणों पर आधारित एक विज्ञान महागाथा 'कल्कि 2898 एडी' को लेकर फैंस का उत्साह चरम पर है। लोकसभा चुनाव 2024 की वजह से इसकी रिलीज डेट को आगे खिसका दिया गया है। नई रिलीज डेट को लेकर चर्चा जोरों पर है। हालांकि, अब तक इस पर आधिकारिक घोषणा का इंतजार है। इसी बीच निर्माताओं ने फिल्म से अमिताभ बच्चन के किरदार से पर्दा उठा दिया है। टीजर वीडियो से साफ होता है कि प्रभास अभिनीत फिल्म में बिग बी अपराजेय अश्वत्थामा की भूमिका में नजर आएंगे। इतना ही नहीं वीडियो में उत्तर प्रदेश के कानपुर के शिवराजपुर जगह में स्थित खेरेश्वर धाम मंदिर की भी झलक देखने को मिली है। इस मंदिर का अश्वत्थामा से खास नाता है और वह जुड़ाव क्या है आइए जान लेते हैं-
Kalki 2898 AD: कल्कि के टीजर में दिखा कानपुर के करीब का ये मंदिर, आज भी हर रोज पूजा करने आते हैं अश्वत्थामा
'कल्कि 2898 एडी' के नए टीजर से पता चला है कि फिल्म में अमिताभ बच्चन, अश्वत्थामा की भूमिका में नजर आएंगे। वहीं, इसमें कानपुर के करीब स्थित खेरेश्वर महादेव मंदिर की भी झलक देखने को मिली है, जिससे अश्वत्थामा का खास नाता है।
मान्याताओं पर गौर फरमाए तो अश्वत्थामा रात के अंधेरे में खेरेश्वर धाम मंदिर में भगवान शिव की अराधना करने पहुंचते हैं। सुबह शिवलिंग के ऊपर फूल चढ़े मिलते हैं और अभिषेक हुआ मिलता है। महंत के मुताबिक महाभारत काल के युद्ध के दौरान अश्वत्थामा ने पांडवों के पुत्र की छल से हत्या कर दी। इसके बाद भीम ने अश्वत्थामा के माथे में लगी मणि निकालकर उन्हें शक्तिहीन बना दिया। भगवान श्री कृष्ण ने अश्वत्थामा को श्राप दिया था कि वह धरती पर तब तक पीड़ा में जीवित रहेंगे, जब तक स्वयं महादेव उन्हें उनके पापों से मुक्ति न दिला दें।
लोगों का कहना है कि रात के अंधेरे में मंदिर परिसर के अंदर अजीब घटनाएं होती हैं। धूप की सुगंध उठती है और अचानक से घंटियां बजने लगती हैं। कई दफा कुछ लोगों और पुजारियों ने इसके पीछे की वजह जानने की भी कोशिश की है, लेकिन लोगों की मानें तो ऐसा करने पर उन्हें अपनी दृष्टि गंवानी पड़ी।
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शिवराजपुर के छतरपुर गांव में स्थित खेरेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास द्वापरयुग से है। महाभारत काल में कौरव-पांडव के गुरु द्रोणाचार्य ने स्वयं खेरेश्वर महादेव की तपस्या की थी। यहां के लोगों का दावा है कि करीब वह 36 सौ साल से बदस्तूर आता है और नजदीक पहुंचने से पहले कहीं गुम हो जाता है। वही बता दें कि इस बात को लेकर गांववालों का मानना है कि यह कोई और नहीं द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वथामा हैं।
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इतना ही नहीं पांडव, कौरव और कर्ण ने भी यहीं पर शिक्षा दीक्षा ली थी। खेरेश्वर धाम की मान्यता है कि द्वापर युग में यह गांव पहले गुरु द्रोणाचार्य का आरायण वन हुआ करता था। यहीं पर द्रोणाचार्य ने पांडवों-कौरवों को शस्त्र विद्या सिखाई। जानकारी के अनुसार, मंदिर में स्थापित शिवलिंग लगभग 5 हजार वर्ष पुराना है। लोगों का मानना है कि यह शिवलिंग महाभारत काल के समय से स्थापित है। साथ ही खेरेश्वर मंदिर में स्थापित शिवलिंग को किसी व्यक्ति ने स्थापित नहीं किया है।
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