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बिकरू कांड में बड़ा खुलासा : असलहे बेचने व खरीदने वालों के बीच नहीं मिला कनेक्शन, भिंड पुलिस की कहानी में झोल

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर Published by: शिखा पांडेय Updated Wed, 10 Mar 2021 01:56 PM IST
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Vikas Dubey Case: Big disclosure in STF investigation
विकास दुबे के भाई की सेमी ऑटोमैटिक राइफल भिंड में मिली - फोटो : अमर उजाला
बिकरू कांड में इस्तेमाल असलहों की बरामदगी करने वाली भिंड पुलिस के एक और झूठ का खुलासा हुआ है। एसटीएफ की जांच में असलहों को बेचने व खरीदने वाले के बीच कोई कनेक्शन नहीं मिला है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर राइफल व बंदूक उन तक कैसे पहुंच गई। साफ है कि भिंड पुलिस ने झूठी कहानी गढ़ी।
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Vikas Dubey Case: Big disclosure in STF investigation
विकास दुबे (फाइल फोटो) - फोटो : अमर उजाला
एसटीएफ ने खुलासा किया था कि जेल भेजे गए संजय परिहार ने भिंड निवासी मनीष यादव से असलहों का सौदा किया। भिंड के बसपा नेता सत्यवीर सिंह यादव के दोनों रिश्तेदार बंटी व मंगल ने उसके जरिये असलहे खरीदे थे। हालांकि भिंड पुलिस ने अभिषेक शर्मा व आकाश उर्फ जग्गू के पास से सेमी ऑटोमैटिक राइफल, डबल बैरल बंदूक की बरामदगी दिखाई और जेल भेज दिया।
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विकास दुबे (फाइल फोटो) - फोटो : अमर उजाला
यह भी दावा किया कि दोनों को असलहे मनीष ने दिए थे। इधर एसटीएफ की जांच में पता चला कि मनीष की दोनों आरोपी से कभी बातचीत तक नहीं हुई। इसकी पुष्टि एक साल के भीतर मोबाइल नंबरों की सीडीआर से भी हुई। इस वजह से भिंड पुलिस की कहानी पर बड़ा सवाल उठ गया है।
Vikas Dubey Case: Big disclosure in STF investigation
कानपुर एनकाउंटर - फोटो : अमर उजाला
बंटी और मंगल के पास थे असलहे
भिंड पुलिस की कार्रवाई पर शुरू में ही सवाल उठ रहे थे। एसटीएफ को जो जानकारी मिली थी, उसके आधार पर असलहे बंटी व मंगल के पास थे। वहां से अभिषेक व आकाश तक पहुंचाए गए। सूत्रों के मुताबिक बसपा नेता ने अपने रसूख का इस्तेमाल किया और बंटी, मंगल के नाम गायब हो गए।
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कानपुर एनकाउंटर - फोटो : अमर उजाला
एसटीएफ पर दबाव डालने का किया था प्रयास
एसटीएफ ने जब सात आरोपियों को गिरफ्तार किया तो उसमें मनीष यादव भी शामिल था। वह भी बसपा नेता का रिश्तेदार है। उस वक्त स्थानीय पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी थी कि एसटीएफ मनीष के पीछे लगी है। लिहाजा बसपा नेता को मनीष का बचाव करने का समय नहीं मिला। मनीष की गिरफ्तारी भी कानपुर से हुई थी। पता चला है कि एक बार एसटीएफ की टीम केवल पूछताछ करने गई थी तो बसपा नेता ने तमाम अधिकारियों व बड़े नेताओं से भी एसटीएफ पर दबाव डलवाने का प्रयास किया था।
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