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यूक्रेन से लौटे लाडलों की दर्दनाक कहानियां: भूखे-प्यासे रहकर गुजारे दिन, छात्र बोले- मौत के मुंह से बचकर पहुंचे घर, तस्वीरें

अमर उजाला ब्यूरो, मेरठ Published by: कपिल kapil Updated Sun, 06 Mar 2022 05:30 PM IST
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Ukraine Russia war latest news : Students of Meerut have passed days without food water in Ukraine read full story
यूक्रेन से लौटे छात्र। - फोटो : amar ujala

किसी घर में दुआ हो रही है तो किसी घर में प्रार्थना का दौर चल रहा है। ये वो परिवार हैं जिन्होंने अपने जिगर के टुकड़ों को यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने भेजा था। लेकिन भविष्य संवारने के सपने संजोकर जाने वाले इन छात्र-छात्राओं को वहां युद्ध के हालात का सामना करना पड़ गया। अब तक 20 से ज्यादा छात्र-छात्राएं अपने घर लौट चुके हैं। शनिवार को भी 10 से ज्यादा बच्चे अपने घर पहुंच गए। बच्चों को देखते ही गले लगा लिया। नम आंखों से बस यही बोले, ऊपर वाले तुम्हारा शुक्रिया... बच्चे सकुशल घर आ गए। बच्चों ने बताया कि किसी तरह मौत के मुंह से बचकर आए हैं। हर तरफ धमाके हो रहे थे... खाने को भी कुछ नहीं बचा था। 

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राष्ट्रीय ध्वज को देखते ही खत्म हो गया खौफ 
केसरगंज निवासी मोहम्मद अयाज सिद्धीकी की बेटी मुस्कान शनिवार को घर लौटीं तो पूरा परिवार खिल उठा। मुस्कान ने बताया कि वे यूक्रेन के पोलटावा शहर के मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रही हैं। मुस्कान ने आपबीती बयां की कि 24 फरवरी को आसपास के शहरों में बमबारी शुरू हो गई। 26 फरवरी को कॉलेज के 200 से अधिक बच्चे बंकर में रहने को मजबूर हो गए। सरकार ने सभी को निकलने के लिए कहा तो बस से पोलैंड के लिए रवाना हुए। बिस्कुट और नमकीन खाकर दिन गुजारे। एंबेसी के साथ एनआरआई की तरफ से बहुत मदद मिली। पौलेंड इंडियन एंबेसी में पहुंचकर भारतीय ध्वज देखा तो जेहन से खैफ खत्म हो गया। तीन मार्च को फ्लाइट से दिल्ली के लिए रवाना हुए।

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यूक्रेन में फंसे थे मेरठ के छात्र। - फोटो : amar ujala

घर पहुंचने की खुशी, भविष्य की चिंता 
सूर्या पैलेस निवासी मानसी शर्मा खारकीव मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं। शनिवार को मानसी घर लौटीं तो परिजनों की आंखें भर आईं। मानसी ने बताया कि घर पहुंचने की खुशी है, लेकिन भविष्य की चिंता भी सता रही है। मानसी ने बताया कि नौ दिन तक बहुत समस्याएं झेली लेकिन, साहस नहीं छोड़ा। कंकरखेड़ा की ख्याति कौशल भी मानसी के साथ थीं। मानसी ने बताया कि 27 फरवरी को दोनों कैब से रेलवे स्टेशन पर पहुंचीं। स्टेशन पर बहुत भीड़ थी। 20 घंटे भूखे-प्यासे सफर कर लवीव और वहां से पोलैंड बॉर्डर पहुंचे। कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। 14 घंटे लग गए। चार मार्च की सुबह फ्लाइट से दिल्ली पहुंचे।

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यूक्रेन के हालात। - फोटो : amar ujala

यकीन नहीं था कि बच पाएंगे 
रोहटा रोड निवासी काजल वर्मा और मलियाना निवासी प्रियांशु प्रभाकर भी शनिवार को मेरठ पहुंच गए। उन्होंने बताया कि जब तक यूक्रेन की सीमा से नहीं निकले तब तक यकीन नहीं हो रहा था कि अब बच पाएंगे। 

अनुष्का को देखते ही भावुक हुए परिजन 
गढ़ रोड अजंता कॉलोनी जनकपुरी निवासी डॉ. डीपी सिंह की बेटी अनुष्का चौधरी शनिवार को घर लौटीं तो परिजन भावुक हो गए। सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने भी घर जाकर अनुष्का से हाल जाना। 

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यूक्रेन में हो रहे धमाके। - फोटो : amar ujala

एंबेसी ने नहीं की कोई मदद 
श्यामनगर निवासी डॉ. उजैर लइक ने बताया कि वह कीव मेडिकल कॉलेज में इंटर्नशिप कर रहे हैं। बमबारी होने के कारण 24 फरवरी से 27 फरवरी तक बंकर में रहना पड़ा। केक और बिस्कुट के सहारे चार दिन बिताए। एंबेसी से कोई मदद नहीं मिली तो ट्रेन से लवीव होते हुए टैक्सी से हंगरी बॉर्डर पर पहुंचे। 

यूक्रेन से लौटे बच्चों से मिले व्यापारी नेता
भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक विनीत अग्रवाल शारदा ने शनिवार को यूक्रेन से लौटे कई छात्रों का घर जाकर हाल जाना। गंगानगर में श्वेता सैनी, मलियाना में प्रियांशु प्रभाकर, मवाना में अभिषेक राणा को फूलों का गुलदस्ता और मोतियों की माला पहनाकर स्वागत किया। 

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यूक्रेन में थे फंसे छात्र। - फोटो : amar ujala

प्रिया ने जताया प्रधानमंत्री का आभार 
मोदीपुरम में दुल्हैड़ा चुंगी स्थित पूर्व जिला पंचायत सदस्य ललित चौहान के कार्यालय पर शनिवार को यूक्रेन से लौटी बफावत गांव निवासी नरेश कुमार की बेटी प्रिया धनकड़ का स्वागत किया गया। प्रिया ने युद्ध में तबाही की तस्वीर बयां की। प्रिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जनरल वीके सिंह का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार के प्रयासों से छात्रों को परेशानी नहीं आई। 

अभिषेक को देखते ही रो पड़े परिजन 
मवाना में विवेक विहार कॉलोनी निवासी अभिषेक राणा शनिवार सुबह घर पहुंचे तो परिजनों की आंखें नम हो गईं। अभिषेक ने बताया कि यूक्रेन से पोलैंड बॉर्डर पर पहुंचने के लिए 35 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। अभिषेक ने बताया कि भारतीय छात्रों के साथ यूक्रेन के सैनिक अभद्रता कर रहे थे। हमें पूरी रात, खुले आसमान के नीचे माइनस-5 के तापमान में रात गुजारनी पड़ी। खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं थी। 

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