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Wethechange: मिलिए UN की यंग क्लाइमेट चेंज लीडर मेरठ की हिना सैफी से, छोटे गांव से पर्यावरण के लिए कर रहीं काम

डिम्पल सिरोही, अमर उजाला, मेरठ Published by: Dimple Sirohi Updated Mon, 19 Sep 2022 03:08 PM IST
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We The Change: Meet Hina saifi from Meerut, who is the one among seventeen Young Climate Leader of UN
हिना सैफी - फोटो : अमर उजाला

हमें सैफी साहब के घर जाना है....? कौन वही जिनकी बेटी क्लाइमेट चेंज लीडर है। गांव में हिना सैफी के घर का पता पूछने पर एक किशोर ने जवाब दिया। इसके बाद सरफराज (11) हमें सीधा हिना सैफी के घर लेकर पहुंचा। सोचिए कि जिस गांव में ज्यादातर बच्चे फुटबॉल सिलने का काम करते हैं। स्कूल के बाद अपनी पढ़ाई बंद कर देते हैं और लड़कियां बिना हिजाब के घर की दहलीज नहीं लांघतीं, उस गांव में बेटी के नाम से गांव व परिवार की पहचान है, ये अपने आप में बड़ी बात है। 

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ से सटे गांव सिसौला बुर्जुग की रहने वाली हिना सैफी पर्यावरण के लिए काम करती हैं। देश ही नहीं बल्कि मेहनत और काम से हिना ने विदेश में भी अपनी पहचान बनाई है। खास बात है कि 19 साल की हिना सैफी को संयुक्त राष्ट्र की ओर से भारत के 17 यंग क्लाईमेंट चेंज लीडर्स में शामिल किया गया है। यही नहीं एक ग्रामीण मुस्लिम परिवेश से आने वाली हिना अपने गांव से कॉलेज पहुंचने वाली पहली लड़की हैं। वह पर्यावरण सरंक्षण के साथ-साथ शिक्षा की दिशा में भी कार्य कर रही हैं। फिलहाल हिना 23 सितंबर को अपने गांव में क्लाइमेट स्ट्राइक केेंपेन चलाने जा रही हैं। हिना ने अमर उजाला से अपने संघर्ष के सफर को विस्तार से साझा किया। 

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हिना सैफी - फोटो : अमर उजाला

पढ़ाई छोड़कर फुटबॉल सिलने के काम में लग जाते हैं बच्चे
हिना बताती हैं कि मैं जिस परिवेश से ताल्लुक रखती हूं, वहां लड़कियों की शिक्षा को महत्तव नहीं दिया जाता। मेरे लिए भी सभी सोचते थे कि दसवीं पास कर लेगी, थोड़ा सा उर्दू का ज्ञान हासिल कर लेगी और फिर शादी कर ससुराल चली जाएगी। लेकिन मैं आगे बढ़ना चाहती थी। मैंने पढाई जारी रखी। घर में छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती थी, उसके लिए  मंजूरी थी लेकिन घर से बाहर निकलकर कुछ करना बहुत बड़ा काम था। गांव में ज्यादातर बच्चे पढ़ाई न कर फुटबॉल सिलने का काम करते थे मैं उनके लिए भी कुछ करना चाहती थी।

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हिना सैफी - फोटो : अमर उजाला

दादी के सहयोग से बढ़ी आगे
उन्होंने बताया कि कई बार एनजीओ के लोग हमारे घर आते थे और परिवार को लगातार मेरी लगन और विचारों के बारे में बताते थे। इससे मेरी दादी प्रेरित हुईं और उन्होंने मुझे आगे बढ़ने में सहयोग किया। इसी दौरान मैं शिक्षा के साथ-साथ एन ब्लॉक एनजीओ से जुड़ गई और पर्यावरण के क्षेत्र में काम करना शुरू किया। परिवार को शुरुआत में लगता था कि लड़की है, बाहर कैसे जाएगी और न ही वे पर्यावरण और अशिक्षा को एक समस्या समझते थे। लेकिन मुझे लगता था कि मैं परिवार के साथ-साथ अपने गांव समाज के लोगों को भी इसके लिए जागरूक करूंगी। इसके बाद मैं पर्यावरण की दिशा में जुड़ गई। मैं अपनी दादी की शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मुझे हमेशा सपोर्ट किया। वह अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मैं उनसे हमेशा कहती थी आप एक दिन मुझ पर गर्व महसूस करेंगी। 

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लोगों को जागरूक करतीं हिना सैफी - फोटो : अमर उजाला

एनजीओ के माध्यम से मिला पर्यावरण के लिए काम करने का मौका
हिना ने बताया कि मैं स्कूल में पर्यावरण से जुड़ी एक्टिविटी में शामिल होती थी। वहीं से एन ब्लॉक एनजीओ के लीडर मुकेश कुमार के सहयोग से आगे बढ़ती गई। एनजीओ के साथ काम करते हुए पर्यावरण सरंक्षण, वायु प्रदूषण, एयर क्वालिटी इंडेक्स, और रिन्युएबल एनर्जी जैसे विषयों को समझकर दूसरे लोगों के इनके प्रति जागरूक करने की दिशा में काम किया।

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यूएन के 17 यंग क्लाइमेट चेंज लीडर्स में शामिल हिना सैफी - फोटो : अमर उजाला

यूएन के कैंपेन के लिए ऐसे हुईं चयनित
हिना बताती हैं कि यूएन के 'वी द चेंज' कैंपेन के लिए ‘क्लाइमेट एजेंडा’ की ओर से मुझे नाॉमिनेट किया गया था। मुझे लग रहा था कि इसमें हजारों लोगों ने आवेदन किया होगा लेकिन जब मुझे फोन पर यह मालूम चला कि मुझे भी क्लाइमेट लीडर चुना गया है और हम इस कैंपेन के लिए काम करेंगे तो मेरी और परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं था। मैंने दादी को उस दिन बेहद याद किया। उन्होंने मुझे सबसे ज्यादा सपोर्ट किया था। उस दिन घरवाले भी इस बात को समझ रहे थे कि यह एक बड़ी कामयाबी है। ये मेरे लिए ही नहीं मेरे गांव की और लड़कियों के लिए भी एक कामयाबी है। मेरे प्रयासों से और लड़कियों को स्कूल में पढ़ाने के लिए प्रेरणा मिलेगी। बेशक यह कैंपेन पर्यावरण के मुद्दे पर लोगों को सोचने पर मजबूर तो करेगा ही। मुख्य रूप से ‘सूर्य से समृद्ध’ कैंपेन के तहत हम सोलर एनर्जी के प्रयोग पर बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे थे। हमें यूएन की ओर से ट्रेनिंग दी गई। हमारी वर्कशॉप हुई है। हमने लोगों को जागरूक करने के लिए रैलियां निकालीं, वर्कशॉप का आयोजन किया। 

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