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धर्मनगरी काशी में रथयात्रा की अनुमति नहीं, 218 साल में पहली बार भ्रमण पर नहीं निकले भगवान जगन्नाथ
अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी
Published by: गीतार्जुन गौतम
Updated Tue, 23 Jun 2020 12:49 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथपुरी में रथयात्रा निकालने के लिए इजाजत दे दी, लेकिन वाराणसी जिला प्रशासन ने धर्मनगरी काशी में रथयात्रा की अनुमति नहीं दी है। इस तरह से वाराणसी में 218 साल पुरानी परंपरा टूट गई है। पूरे भारत में सिर्फ वाराणसी में ही तीन दिन रथयात्रा महोत्सव मनाया जाता है। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को नगर भ्रमण कराया जाता है।
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काशी के लक्खा मेले में शुमार भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा आज नहीं निकली। पखवारे भर अस्वस्थ रहने के बाद स्वस्थ होकर भी भगवान मंदिर परिसर में ही विराजमान हैं। ट्रस्ट श्री जगन्नाथ जी के अध्यक्ष दीपक शापुरी ने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए भगवान का नगर भ्रमण और रथयात्रा मेले को स्थगित किया गया है। आम जनता के स्वास्थ्य की रक्षा को ध्यान में रखते हुए ट्रस्ट ने यह निर्णय लिया है। पांच जून को होने वाले भगवान के स्नान में भी आम श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित था। 22 से 25 जून तक लगने वाला रथयात्रा मेला पूरी तरह से स्थगित कर दिया गया है।
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बाबा जगन्नाथ।
- फोटो : अमर उजाला
सचिव आलोक शापुरी ने बताया कि माना जाता है कि रथयात्रा के दौरान दर्शन करने से उनके मंदिर जाकर सालभर दर्शन करने का पुण्य फल मिलता है। प्राय: सभी देवताओं का गर्भगृह मंदिर के केंद्र में होता है व विग्रह हटाए नहीं जाते लेकिन धार्मिक व लोकमान्यता अनुसार जगन्नाथ जी साल में एक बार भ्रमण पर निकलते हैं।
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जगन्नाथपुरी व काशी समेत जहां भी रथयात्रा उत्सव मनाया जाता है। रथ सड़क के मध्य सजता है, जो गर्भगृह हो जाता है। पूरे भारत में काशी ही ऐसी नगरी है, जहां तीन दिनी रथयात्रा महोत्सव मनाया जाता है।
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पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा(फाइल फोटो)।
- फोटो : ANI
सभा, रस्म व पूजन विधान भी पुरी की तरह निभाए जाते हैं। पुरी में रथयात्रा का आरंभ गुडीचा मंदिर स्थित उनके मौसी के राजमहल के सिंहद्वार से होता है तो काशी में भगवान तीन दिनों के लिए पं. बेनीराम बाग के सिंहद्वार पर आते हैं। यहां देव विग्रहों को 14 पहिए वाले 20 फीट चौड़े व 18 फीट लंबे मंदिर नुमा अष्टकोणीय तंत्राकार रथ पर विराजमान कराकर रथ सड़क के मध्य में खड़ा किया जाता है।
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