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UP: सड़क और फुटपाथ के निर्माण से पहले भुगतान...नगर निगम ने किया ऐसा कारनामा, जानकर चौंक जाएंगे
अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Fri, 28 Nov 2025 08:27 AM IST
सार
नगर निगम के एक कारनामे की हकीकत जानकर चौंक जाएंगे। हेमा पेट्रोल पंप से पश्चिमपुरी चौराहे के बीच सड़क व फुटपाथ निर्माण का कार्य चार महीने पहले पूरा हुआ, लेकिन पेमेंट दो साल पहले की कर दिया गया।
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नगर निगम आगरा
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विस्तार
आगरा में हेमा पेट्रोल पंप से पश्चिमपुरी चौराहे के बीच बनी सड़क और फुटपाथ के निर्माण में हुए 50 लाख रुपये के घोटाले में मामले में चौकाने वाली जानकारी सामने आई है। पता चला है कि काम को जिस फर्म को आवंटित किया गया, उसे अगस्त 2023 में ही पूरा पेमेंट किया जा चुका है। जानकारी के सामने के बाद भी नगर आयुक्त के जांच न कराने पर अब महापौर हेमलता दिवाकर कशवाहा ने नगर आयुक्त को पत्र लिखने के साथ आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रमुख सचिव नगर विकास और मंडलायुक्त आगरा को पत्र भेजा है।
'अमर उजाला ने रविवार को घोटाला...53 लाख में बननी थी सड़क, खर्च किये एक करोड़' शीर्षक से खबर प्रकाशित कर सड़क निर्माण में हुए घपले को उजागर किया था। 15वें वित्त आयोग के फंड से हुए इस काम में वित्त आयोग की कमेटी से 53 लाख रुपये की स्वीकृति मिलने के बाद निगम ने इस एक कार्य को दो में बांटकर करीब 1.50 करोड़ के टेंडर जारी कर दिए। निविदाएं आमंत्रित करने के बाद करीब एक करोड़ रुपये से ज्यादा में कामों को मैसर्स अक्षत कंस्ट्रक्शन और मैसर्स एसके विरानी फर्म को आवंटित कर पूरा करा लिया और भुगतान कर दिया। खबर प्रकाशित होने के बाद महापौर ने खबर का संज्ञान लेते हुए कमेटी बनाकर तीन दिन में जांच कर रिपोर्ट भेजने के लिए नगर आयुक्त को पत्र लिखा। हालांकि कमेटी बनी, न ही जांच शुरू हो सकी।
नगर आयुक्त से पूछा- काम हुए बिना कैसे किया भुगतान
महापौर ने नगर आयुक्त को लिखे पत्र में स्थानीय पार्षदों से हुई बातचीत के आधार पर फिर से पत्र लिखा है। पूछा है कि कार्य 2023 में आवंटित हुआ और उसका पूरा भुगतान तभी कर दिया गया तो चार महीने पहले उसी स्थान पर कार्य क्यों कराया गया। ऐसे में यह बताया जाए कि भुगतान होने के बाद उसी सड़क पर दुबारा कार्य कराया गया या बिना काम कराए ही भुगतान किया गया था।
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'अमर उजाला ने रविवार को घोटाला...53 लाख में बननी थी सड़क, खर्च किये एक करोड़' शीर्षक से खबर प्रकाशित कर सड़क निर्माण में हुए घपले को उजागर किया था। 15वें वित्त आयोग के फंड से हुए इस काम में वित्त आयोग की कमेटी से 53 लाख रुपये की स्वीकृति मिलने के बाद निगम ने इस एक कार्य को दो में बांटकर करीब 1.50 करोड़ के टेंडर जारी कर दिए। निविदाएं आमंत्रित करने के बाद करीब एक करोड़ रुपये से ज्यादा में कामों को मैसर्स अक्षत कंस्ट्रक्शन और मैसर्स एसके विरानी फर्म को आवंटित कर पूरा करा लिया और भुगतान कर दिया। खबर प्रकाशित होने के बाद महापौर ने खबर का संज्ञान लेते हुए कमेटी बनाकर तीन दिन में जांच कर रिपोर्ट भेजने के लिए नगर आयुक्त को पत्र लिखा। हालांकि कमेटी बनी, न ही जांच शुरू हो सकी।
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नगर आयुक्त से पूछा- काम हुए बिना कैसे किया भुगतान
महापौर ने नगर आयुक्त को लिखे पत्र में स्थानीय पार्षदों से हुई बातचीत के आधार पर फिर से पत्र लिखा है। पूछा है कि कार्य 2023 में आवंटित हुआ और उसका पूरा भुगतान तभी कर दिया गया तो चार महीने पहले उसी स्थान पर कार्य क्यों कराया गया। ऐसे में यह बताया जाए कि भुगतान होने के बाद उसी सड़क पर दुबारा कार्य कराया गया या बिना काम कराए ही भुगतान किया गया था।