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UP: कोयले की तरह टूट रहे दांत, राख हो रहीं हड्डियां...आग में जलकर इस कदर भस्म हुए 14 लोग, DNA जांच भी चुनौती

अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा Published by: धीरेन्द्र सिंह Updated Sat, 20 Dec 2025 11:18 AM IST
सार

डीएनए से मृतकों की पहचान के लिए लखनऊ-गाजियाबाद की टीमें लगाई गई हैं। वैज्ञानिकों को भी समस्या आ रही है। 
 

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DNA Identification of Victims Becomes a Challenge After Yamuna Expressway Mathura Accident
मथुरा हादसा - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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हमीरपुर के शैलेंद्र देवपाल, चंदाैसी के पंकज कुमार, इटावा के सलीम खान, बांदा के देवराज सहित 14 लोग...। यह सभी वो नाम है, जो निकले तो जिंदगी के सफर पर थे मगर माैत ने अपने आगोश में ऐसा लिया कि उनकी पहचान भी नहीं हो पा रही है। अंतिम संस्कार के लिए उनके अपने भटक रहे हैं। पुलिस ने मृतकों की हड्डियां, नरमुंड आगरा की विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजे हैं मगर अब वैज्ञानिकों को भी चुनाैती का सामना करना पड़ रहा है। आग में जल चुकी हड्डियां हाथ में पकड़ते ही चूरा बन जा रही हैं। ऐसे में डीएनए न मिला तो मुश्किल खड़ी होगी। इसको देखते हुए आगरा के वैज्ञानिकों के साथ ही लखनऊ और गाजियाबाद के वैज्ञानिकों को भी जांच के लिए बुलाया गया है।
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विधि विज्ञान प्रयोगशाला में आगरा मंडल के जिलों से सैंपल आते हैं। मथुरा में एक्सप्रेस-वे पर हादसे में कई लोग जिंदा जल गए थे। इनमें से 15 लोगों के बारे में पुलिस को पता चला है। इनके नामों की जानकारी मिली है। पुलिस ने जले हुए वाहनों से 14 नरमुंड बरामद किए थे। इसके साथ ही कई हड्डियां भी थीं। मृतकों के परिवार वाले पुलिस के चक्कर काट रहे हैं। कह रहे हैं कि एक बार अपनों की अस्थियां मिल जाएं, जिससे अंतिम संस्कार तो कर सकें। पुलिस डीएनए जांच करा रही है। इसके लिए 20 लोगों के सैंपल लिए गए हैं।

 
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भीषण थी आग, नहीं बचा कुछ भी
विधि विज्ञान प्रयोगशाला के डिप्टी डायरेक्टर अशोक कुमार ने बताया कि हड्डियां से बोन मैरो लिया जाता है। इसमें डीएनए होता है। इसके साथ ही दांतों के पल्प से डीएनए मिल सकता है। डीएनए मिलने पर लोगों के डीएनए से मिलान कराया जाएगा मगर वाहनों में लगी आग काफी भीषण थी। अमूमन सामान्य तरीके से शव जलाने पर भी हड्डियां बच जाती हैं मगर इस आग में हड्डियां पूरी तरह से जल गई हैं। यह हाथ में लेते ही टूटने लगती हैं। दांत भी चूरा बन जा रहे हैं। ऐसे में डीएनए लेने में समस्या हो रही है।


 

पहले से चार वैज्ञानिकों की टीम
डिप्टी डायरेक्टर अशोक कुमार ने बताया कि आगरा में पहले से 4 वैज्ञानिकों की टीम है। इनमें वैज्ञानिक अधिकारी शशि शेखर पांडेय, डिप्टी डायरेक्टर पवन कुमार, दो वैज्ञानिक राकेश और बाबू और शुभम गाना हैं। सभी मृतकों की पहचान के लिए डीएनए की जांच में लगे हैं। पहले भी कई सैंपल की जांच चल रही है। यह मामला संवेदनशील है। इसको देखते हुए लखनऊ और गाजियाबाद के अधिकारी बुलाए गए हैं। लखनऊ से वैज्ञानिक अधिकारी प्रगति सिंह और गाजियाबाद से डिप्टी डायरेक्टर अनीता पुंडीर आई हैं। दोनों डीएनए की जांच करने में विशेषज्ञ हैं। बाहर से आई टीम ने कई बड़े मामलों में जांच कर खुलासा किया है। यह टीमें दिन-रात काम कर रही हैं।
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