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फर्जी शस्त्र लाइसेंस प्रकरण: STF के भी रुक गए कदम, इसलिए नहीं हो पा रही आरोपियों की गिरफ्तारी
अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Tue, 03 Jun 2025 09:39 AM IST
सार
अवैध विदेशी पिस्टल और फर्जी लाइसेंस प्रकरण में एसटीएफ की जांच एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पा रही है। हैरानी की बात तो ये है कि अभी तक न तो शस्त्र जब्त हुए हैं और न हीं आरोपियों की गिरफ्तारी हो सकी है।
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फर्जी शस्त्र लाइसेंस
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
अवैध विदेशी पिस्टल और फर्जी लाइसेंस प्रकरण में एसटीएफ की विवेचना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी है। आरोपी घरों से फरार हैं। उनकी लोकेशन दूसरे जिलों, राज्याें में मिल रही है। अब तक न तो शस्त्र जब्त हुए और न ही गिरफ्तारी की जा सकी है।
अवैध विदेशी पिस्टल और फर्जी लाइसेंस प्रकरण में केस थाना नाई की मंडी में लिखा गया था। इसमें सेवानिवृत्त असलहा बाबू संजय कपूर, मीडियाकर्मी शोभित चतुर्वेदी, भूपेंद्र सारस्वत, उसके पिता शिव कुमार सारस्वत, मोहम्मद जैद खान, अरशद खान और राजेश कुमार बघेल को नामजद किया गया।
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केस एसटीएफ के निरीक्षक यतेंद्र शर्मा ने लिखाया है। इस प्रकरण में उन्होंने 9 महीने जांच की थी। आरोपियों से पूछताछ की गई थी। असलहा बाबू के कार्यालय में रिकाॅर्ड खंगाला गया। इसमें लाइसेंस और हथियारों के अवैध होने की आशंका जताई। केस दर्ज हुए एक सप्ताह से अधिक का समय बीत चुका है। मगर, आरोपी गिरफ्तार नहीं हो सके हैं।
केस की विवेचना एसटीएफ को ट्रांसफर हो गई थी। विवेचक हुकुम सिंह हैं। वह अब तक आरोपियों के हथियार जब्त नहीं कर सके हैं। सूत्रों के मुताबिक, हथियारों को जब्त करने के बाद फॉरेंसिक लैब भेजा जाएगा। लैब के वैज्ञानिक पता करेंगे कि हथियार फैक्टरी मेड हैं या फिर अवैध तरीके से बनाए गए हैं। इसकी रिपोर्ट से पुष्टि हो जाएगी।
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आरोपियों के मोबाइल से खुलेंगे कई राज
आरोपियों के मोबाइलों से भी कई राज खुल सकते हैं। सभी आपस में संपर्क में थे तो उनमें किस तरह से बातचीत होती थी। अगर, मोबाइल से डाटा को डिलीट किया गया होगा तो उसे रिकवर भी कराया जा सकता है।
आरोपियों के मोबाइलों से भी कई राज खुल सकते हैं। सभी आपस में संपर्क में थे तो उनमें किस तरह से बातचीत होती थी। अगर, मोबाइल से डाटा को डिलीट किया गया होगा तो उसे रिकवर भी कराया जा सकता है।
लखनऊ में वादी निरीक्षक की शिकायत
एक आरोपी ने पिछले दिनों लखनऊ तक की दाैड़ लगाई थी। अपने परिचितों के माध्यम से अधिकारियों के समक्ष अपनी बात रखी। केस दर्ज कराने वाले निरीक्षक पर आरोप लगाए। गलत तरीके से फंसाने का आरोप लगाया। हालांकि निरीक्षक ने जांच के दाैरान साक्ष्य संकलन किया है। एसटीएफ मुख्यालय रिपोर्ट भेजी थी। डीसीपी की संस्तुति के बाद केस दर्ज हुआ था।
एक आरोपी ने पिछले दिनों लखनऊ तक की दाैड़ लगाई थी। अपने परिचितों के माध्यम से अधिकारियों के समक्ष अपनी बात रखी। केस दर्ज कराने वाले निरीक्षक पर आरोप लगाए। गलत तरीके से फंसाने का आरोप लगाया। हालांकि निरीक्षक ने जांच के दाैरान साक्ष्य संकलन किया है। एसटीएफ मुख्यालय रिपोर्ट भेजी थी। डीसीपी की संस्तुति के बाद केस दर्ज हुआ था।