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UP: जमीन सौदों पर आयकर का शिकंजा, एक हजार करोड़ से ज्यादा की रजिस्ट्रियां रडार पर
अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Sat, 20 Dec 2025 12:54 PM IST
सार
आयकर विभाग ऐसी खरीद-बिक्री के दस्तावेजों को खंगालने में जुटा है, जिनमें खरीदने और बेचने वालों का ब्योरा सही नहीं है।
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आगरा सदर तहसील निबन्धन भवन
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
आगरा में हुई एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की जमीनों की खरीद-बिक्री आयकर विभाग के निशाने पर है। विभाग ऐसी खरीद-बिक्री के दस्तावेजों को खंगालने में जुटा है, जिनमें खरीदने और बेचने वालों का ब्योरा सही नहीं है। खास बात है कि इसमें वह लोग शामिल हैं जिन्होंने बड़ी जमीनों को खरीदा या बेचा। विभाग अब ऐसे खरीदारों और बेचने वालों को नोटिस देने की तैयारी कर रही है।
हाल ही में किरावली सब रजिस्ट्रार कार्यालय में आयकर विभाग ने सर्वे कर टीम ने काफी डाटा अपने कब्जे में लिया था। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि 30 लाख से ज्यादा की कई रजिस्ट्री की जानकारी पिछले दो साल में आयकर विभाग से साझा ही नहीं की गई। किरावली और आसपास के क्षेत्र में हर महीने करीब पचास करोड़ रुपये की रजिस्ट्री की गई। सूत्रों के अनुसार जमीनों की इन खरीद में मार्केट वैल्यू ज्यादा जबकि रजिस्ट्री में दाम कम दिखाए गए।
ऐसे में ऐसी संपत्तियों की खरीद के बाद बिक्री और अदा किए गए टैक्स का ऑनलाइन आंकलन कर कर चोरों को चिह्नित किया जा रहा है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि फिलहाल राजस्व विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर पिछले दो साल में अबतक हुई सभी रजिस्ट्री का डाटा जुटाया जा रहा है। इस डाटा में 30 लाख से कम रुपये में हुई रजिस्ट्री की भी जांच की जाएगी। देखा जाएगा कि कहीं आयकर की नजर से बचने के लिए बड़े भूखंडों को छोटे टुकड़ों में खरीदने का प्रयास तो नहीं किया गया।
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हाल ही में किरावली सब रजिस्ट्रार कार्यालय में आयकर विभाग ने सर्वे कर टीम ने काफी डाटा अपने कब्जे में लिया था। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि 30 लाख से ज्यादा की कई रजिस्ट्री की जानकारी पिछले दो साल में आयकर विभाग से साझा ही नहीं की गई। किरावली और आसपास के क्षेत्र में हर महीने करीब पचास करोड़ रुपये की रजिस्ट्री की गई। सूत्रों के अनुसार जमीनों की इन खरीद में मार्केट वैल्यू ज्यादा जबकि रजिस्ट्री में दाम कम दिखाए गए।
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ऐसे में ऐसी संपत्तियों की खरीद के बाद बिक्री और अदा किए गए टैक्स का ऑनलाइन आंकलन कर कर चोरों को चिह्नित किया जा रहा है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि फिलहाल राजस्व विभाग के अधिकारियों से संपर्क कर पिछले दो साल में अबतक हुई सभी रजिस्ट्री का डाटा जुटाया जा रहा है। इस डाटा में 30 लाख से कम रुपये में हुई रजिस्ट्री की भी जांच की जाएगी। देखा जाएगा कि कहीं आयकर की नजर से बचने के लिए बड़े भूखंडों को छोटे टुकड़ों में खरीदने का प्रयास तो नहीं किया गया।
