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लोकसभा चुनाव 2024: सपा की जुबां पर मुलायम, तो भाजपा के पास मोदी की गारंटी...मैनपुरी में गुम हुए मुद्दे
ज्योत्यवेंद्र दुबे, मैनपुरी
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Sun, 14 Apr 2024 01:31 PM IST
सार
लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है। एक बार फिर नेता जनता के बीच में हैं। मैनपुरी की बात करें तो यहां दौर बदल गया है। अब मुद्दों पर वोट नहीं मांगे जा रहे। यहां आमने-सामने की टक्कर में सपा और भाजपा ने जीत के लिए अलग ही रणनीति अपनाई है।
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लोकसभा चुनाव 2024
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
मौसम के पारे के साथ सियासत का पारा भी चढ़ गया है। लेकिन इस बार ये सियासी गर्मी कुछ अलग सी है। ये गर्मी मैनपुरी के दर्द और यहां के मुद्दों को लेकर नहीं है। ये मुद्दे तो कहीं गुम हो चुके हैं। इस चुनाव में कुछ नजर आ रहा है तो बस कुछ नामों का सहारा। सपा की जुबां पर मुलायम और उनकी सियासत है तो वहीं भाजपा मोदी के नाम के सहारे चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है।
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पहले जब चुनाव होता था तो जनता को नेता से सवाल पूछने का मौका मिल जाता था। वे पूछते थे कि आखिर उनकी समस्याएं क्यों दूर नहीं हुईं। अगर होंगी तो कब तक दूर होंगी। उनके लिए नेता चुनाव जीतने के बाद क्या करेंगे। लेकिन अब ये सब गुजरे जमाने की बातें सी नजर आती हैं। 2024 के चुनाव में सियासी मुद्दे कहीं दूर-दूर तक भी नहीं हैं। प्रत्याशी बस एक दूसरे की कमियां गिनाने में लगे हैं। सपा भाजपा पर लोकतंत्र खत्म करने का आरोप मढ़ती है तो वहीं भाजपा सपा पर परिवारवाद और गुंंडई को बढ़ावा देने का आरोप लगाती है।
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लेकिन जीत के लिए उनके पास अलग ही फंडा है। सपा प्रत्याशी डिंपल यादव मुलायम सिंह यादव की याद दिलाकर लोगों से वोट मांगती हैं। वहीं भाजपा प्रत्याशी जयवीर सिंह मोदी की गारंटी लेकर जनता के बीच पहुंच रहे हैं। वे दावा करते हैं कि मोदी की गांरटी पर इस बार लोग मैनपुरी में भी भरोसा करेंगे।
रोजगार पर नहीं होती बात
सपा से अगर विकास की बात की जाती है तो वे एक दशक पुराने विकास कार्यों को दोहराते नजर आते हैं। सड़कों के जाल से शुरू होकर उनकी गिनती सैनिक स्कूल, इंजीनियरिंग कॉलेज से होते हुए एक्सप्रेस-वे पर आकर खत्म होती है। वहीं भाजपा से जब विकास के मुद्दे पर बात होती है तो भविष्य के सुहाने सपने दिखाए जाते हैं। इसमें आगे बनने वाला ऑडिटोरियम, केंद्रीय विद्यालय और मैनपुरी का बाईपास है। इसमें अब तक ऑडिटोरियम के कार्य का ही शिलान्यास हो सका है। अन्य कार्य धरातल से दूर हैं।
सपा से अगर विकास की बात की जाती है तो वे एक दशक पुराने विकास कार्यों को दोहराते नजर आते हैं। सड़कों के जाल से शुरू होकर उनकी गिनती सैनिक स्कूल, इंजीनियरिंग कॉलेज से होते हुए एक्सप्रेस-वे पर आकर खत्म होती है। वहीं भाजपा से जब विकास के मुद्दे पर बात होती है तो भविष्य के सुहाने सपने दिखाए जाते हैं। इसमें आगे बनने वाला ऑडिटोरियम, केंद्रीय विद्यालय और मैनपुरी का बाईपास है। इसमें अब तक ऑडिटोरियम के कार्य का ही शिलान्यास हो सका है। अन्य कार्य धरातल से दूर हैं।
युवाओं की नहीं हो रही कोई बात
रोजगार मैनपुरी के क्षेत्र के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है। यहां बीते कई दशकों से इसकी मांग उठती रही है। लेकिन नेताओं ने सियासी बातों का जाल बुनकर इसे मुद्दे को बीच में फंसा दिया है। युवा रोजगार चाहते हैं, लेकिन उनकी इस समस्या पर चर्चा ही नहीं होती है। न तो पक्ष और न ही विपक्ष रोजगार दिलाने का दावा मैनपुरी के युवाओं को करता नजर आता है।
रोजगार मैनपुरी के क्षेत्र के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है। यहां बीते कई दशकों से इसकी मांग उठती रही है। लेकिन नेताओं ने सियासी बातों का जाल बुनकर इसे मुद्दे को बीच में फंसा दिया है। युवा रोजगार चाहते हैं, लेकिन उनकी इस समस्या पर चर्चा ही नहीं होती है। न तो पक्ष और न ही विपक्ष रोजगार दिलाने का दावा मैनपुरी के युवाओं को करता नजर आता है।