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Banke Bihari Vrindavan: नीम की कोपल से लगेगा ठाकुर बांकेबिहारी को भोग, जानें क्या है ये परम्परा
संवाद न्यूज एजेंसी, मथुरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Thu, 04 Apr 2024 07:26 PM IST
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सार
ठाकुर बांकेबिहारी को 9 अप्रैल को माखन, मिश्री और नीम की कोपल का भोग लगेगा। इस दिन मंदिर के गोस्वामी प्रभु को हिंदी नववर्ष की बधाई देंगे।

ठाकुर बांकेबिहारी महाराज
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
वृंदावन के ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में 9 अप्रैल को नवसंवत्सर विधि-विधान पूर्वक मनाया जाएगा। मंदिर के पुरोहित पंचांग का पूजन कर प्रभु के समक्ष उसे पढ़कर सुनाएंगे। सेवायत गोस्वामी अपने आराध्य बांकेबिहारी का हिंदी नववर्ष पर नीम की कोपल, माखन मिश्री का विशेष भोग लगाएंगे।
श्रीबांकेबिहारी मंदिर में हिंदी नववर्ष नवसंवत्सर 9 अप्रैल को मनाया जाएगा। बड़ी संख्या में श्रद्धालु आराध्य के दर्शनों के साथ नवसंवत्सर की शुरुआत करेंंगे। नवसंवत्सर के अवसर पर ठाकुर बांकेबिहारी का सेवायत गोस्वामीजनों द्वारा जल, गुलाबजल, इत्र, केसर से अभिषेक करने के पश्चात प्रभु को तुलसीदल अर्पित किया जाएगा। इस अवसर पर आराध्य का विशेष भोग माखन, मिश्री एवं नीम की कोपल का लगाया जाएगा उसके बाद भक्तों को वितरित किया जाएगा।
मंदिर की धर्म परंपरा के अनुसार मंदिर के पुरोहित छैलबिहारी मिश्र द्वारा नवसंवत्सर पर पंचांग मंत्रोच्चारों के बीच पूजन किया जाएगा और आराध्य को श्रवण कराया जाएगा। इसके बाद ही मंदिर के पट खोले जाएंगे।
बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत दिनेश गोस्वामी ने बताया कि नवसंवत्सर पर बांकेबिहारी को मंदिर के पुरोहित द्वारा करीब पौने सात बजे नवसंवत्सर पंचांग को पढ़कर श्रवण कराएंगे। प्रभु को नीम की कोपल और मिश्री का भोग लगाया जाएगा। यह मंदिर की लंबे समय से परंपरा चली आ रही है। मंदिर के सह प्रबंधक उमेश सारस्वत ने बताया कि नवसंवत्सर की तैयारियां की जा रही हैं, जिसमें सीसीटीवी कैमरे और पंखे दुरुस्त कराए जा रहे हैं।

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श्रीबांकेबिहारी मंदिर में हिंदी नववर्ष नवसंवत्सर 9 अप्रैल को मनाया जाएगा। बड़ी संख्या में श्रद्धालु आराध्य के दर्शनों के साथ नवसंवत्सर की शुरुआत करेंंगे। नवसंवत्सर के अवसर पर ठाकुर बांकेबिहारी का सेवायत गोस्वामीजनों द्वारा जल, गुलाबजल, इत्र, केसर से अभिषेक करने के पश्चात प्रभु को तुलसीदल अर्पित किया जाएगा। इस अवसर पर आराध्य का विशेष भोग माखन, मिश्री एवं नीम की कोपल का लगाया जाएगा उसके बाद भक्तों को वितरित किया जाएगा।
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मंदिर की धर्म परंपरा के अनुसार मंदिर के पुरोहित छैलबिहारी मिश्र द्वारा नवसंवत्सर पर पंचांग मंत्रोच्चारों के बीच पूजन किया जाएगा और आराध्य को श्रवण कराया जाएगा। इसके बाद ही मंदिर के पट खोले जाएंगे।
बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत दिनेश गोस्वामी ने बताया कि नवसंवत्सर पर बांकेबिहारी को मंदिर के पुरोहित द्वारा करीब पौने सात बजे नवसंवत्सर पंचांग को पढ़कर श्रवण कराएंगे। प्रभु को नीम की कोपल और मिश्री का भोग लगाया जाएगा। यह मंदिर की लंबे समय से परंपरा चली आ रही है। मंदिर के सह प्रबंधक उमेश सारस्वत ने बताया कि नवसंवत्सर की तैयारियां की जा रही हैं, जिसमें सीसीटीवी कैमरे और पंखे दुरुस्त कराए जा रहे हैं।