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CM Cup Kho-Kho Tournament: गोरखपुर में 21 नवंबर से, अलीगढ़ मंडल टीम का हुआ चयन
अमर उजाला नेटवर्क, अलीगढ़
Published by: चमन शर्मा
Updated Thu, 13 Nov 2025 11:52 AM IST
सार
गोरखपुर में खो खो प्रतियोगिता के लिए अलीगढ़ मंडल की टीम का चयन किया गया। चयनीत टीम 20 नवंबर को गोरखपुर के लिए रवाना होगी।
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ट्रायल में जंप लगाकर खिलाड़ी को छूने का प्रयास करता दूसरा खिलाड़ी
- फोटो : संवाद
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विस्तार
गोरखपुर के वीर बहादुर सिंह गोरखपुर स्पोर्ट्स कॉलेज में सीएम कप उत्तर प्रदेश स्टेट सीनियर पुरुष हैंडबॉल एवं खो-खो प्रतियोगिता का आयोजन 21 से 23 नवंबर तक होगा। महारानी अहिल्याबाई होल्कर स्पोर्ट्स स्टेडियम में अलीगढ़ मंडल की खो-खो टीम का चयन किया गया। जिला खो-खो सचिव अवधेश सारस्वत ने बताया कि चयनीत टीम 20 नवंबर को गोरखपुर के लिए रवाना होगी।
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अलीगढ़ मंडल टीम में रचित कुमार, विजय कुमार, रोहित, राजेश्वर कुमार, लेखराज, अंकुश कुमार, विकास कुमार, ओमवीर, भानु प्रताप, शिवकुमार, अनमोल, विशाल, गिरीश, सलमान, आकाश कुमार शामिल हैं। अतिरिक्त खिलाड़ियों में जयंत चौधरी, अखिलेश, बृजेश हैं। चयनकर्ता के रूप में यतेंद्र कुमार, रामराज, सोनिया, सुवर्णा, राजेश कुमार, बृजेश कुमार, अर्जुन चौधरी, चंद्रभान खिलाड़ियों का चयन किया।
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खो-खो खिलाड़ी सानिया और अंजना भी किसी से कम नहीं
अलीगढ़ जनपद के ग्रामीण इलाकों की बेटियां आज अपने हौसले और मेहनत से यह साबित कर रही हैं कि प्रतिभा परिस्थितियों की मोहताज नहीं होती। गांव मकसूदपुर की खो-खो खिलाड़ी सानिया बचपन से ही इस खेल के प्रति समर्पित रही हैं। वह छठी कक्षा से खो-खो खेल रही हैं और वर्तमान में डीएस कॉलेज की बीए प्रथम वर्ष की छात्रा हैं। सानिया ने दिसंबर 2024 में मध्यप्रदेश के पाटलीपुत्र स्टेडियम में आयोजित खेलो इंडिया खो-खो प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए तीसरा स्थान प्राप्त किया था। उनके पिता बलदेव सिंह मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करते हैं, लेकिन आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने कभी बेटी के सपनों को रुकने नहीं दिया।
वहीं, गांव बाढ़ बामनी की अंजना ने भी अपने संघर्ष को अपनी पहचान बना लिया है। अंजना के पिता छत्रपाल सिंह भी मजदूरी का कार्य करते हैं। सीमित साधनों के बावजूद उन्होंने बेटी को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। अंजना वर्तमान में 12वीं कक्षा की छात्रा हैं और पिछले तीन वर्षों से खो-खो खेल रही हैं।
इन बेटियों की कहानी इस बात की मिसाल है कि मेहनत, लगन और परिवार के समर्थन से कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। मजदूर पिता की ये बेटियां आज गांव, जिला और प्रदेश का नाम रोशन कर रही हैं-यह प्रमाण है कि सच्चा हौसला हर कठिनाई को मात दे सकता है।